
मुंबई के दादर कबूतरखाना में फैला तनाव, जैन समुदाय ने BMC प्रतिबंध मानने से किया इंकार
क्या है खबर?
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के दादर इलाके में बुधवार को एक बार फिर कबूतरों को दाना डालने को लेकर विवाद हो गया। दरअसल, बुधवार को जैन समुदाय के लोगों ने बृह्नमुंबई नगरपालिका (BMC) द्वारा लगाए गए प्लास्टिक को जबरन हटाने की कोशिश की, जिसका विरोध शुरू हो गया। विवाद बढ़ने पर पुलिस को बुलाया गया, जिसने लोगों को शांत कराने की कोशिश की प्लास्टिक कवर को पिछले हफ्ते BMC ने कबूतरों को दाना डालने से रोकने के लिए लगाया था।
विवाद
दादर कबूतरखाने में क्यों हुआ विवाद?
बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के मद्देनजर BMC ने 2 अगस्त को दादर में श्रीशांतिनाथ भगवान श्वेतांबर जैन मंदिर के पास स्थित कबूतरखाने को प्लास्टिक से ढक दिया था, जिसका जैन समुदाय ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने बताया कि कबूतरखाना 1933 में मंदिर के साथ स्थापित है, जो जीव दया और अहिंसा का प्रतीक है। इसको लेकर स्थानीय लोगों और जैन समुदाय ने विरोध-प्रदर्शन भी किया था, लेकिन पुलिस सख्त रही। बुधवार को तिरपाल हटाने को लेकर तनाव बढ़ गया।
ट्विटर पोस्ट
दादर कबूतरखाने को लेकर विवाद
#WATCH मुंबई के दादर कबूतरखाना में बुधवार सुबह उस वक्त तनाव पैदा हो गया, जब जैन समुदाय के कई सदस्य मौके पर पहुंचे और BMC द्वारा कबूतरों को दाना डालने पर लगाए गए कवर को हटाने की कोशिश करने लगे।
— Satark Nagrik News (@satarknagriknew) August 6, 2025
सार्वजनिक स्वास्थ्य को लेकर BMC ने हाल ही में प्लास्टिक शीट व जाल लगाए थे।
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विवाद
क्या है मुंबई का कबूतरखाना विवाद?
मुंबई के पशु प्रेमी महाराष्ट्र सरकार के संभावित फैसले के मद्देजनर हाई कोर्ट पहुंच गए और याचिका दायर कर कबूतरखानों को ध्वस्त न करने और उनको दाना डालने की अनुमति मांगी। इसपर हाई कोर्ट ने जुलाई 2025 को आदेश दिया कि कबूतरों को दाना डालना सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है। कोर्ट ने BMC को ऐसे स्थानों को चिन्हित कर कबूतरों का जमावड़े रोकने और दाना डालने वालों पर कार्रवाई का निर्देश दिया। BMC ने 51 कबूतरखाना चिन्हित किया है।
समर्थन
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया है समर्थन?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मामले को लेकर 5 अगस्त को बैठक की और कहा कि अचानक कबूतरखाना बंद करना सही नहीं। उन्होंने BMC को पशु संगठनों के साथ मिलकर नियंत्रित दाना खिलाने की व्यवस्था करने और हाई कोर्ट से मंजूरी लेने का निर्देश दिया। मामले पर अगली सुनवाई 7 अगस्त को है। जैन समुदाय ने 10 अगस्त तक दाना डालने की अनुमति न मिलने पर साधु-संतों के आमरण अनशन की चेतावनी दी है।
जानकारी
कितने खतरनाक हैं कबूतर?
BMC ने कोर्ट में कहा है कि कबूतरों का मल और पंख हिस्टोप्लाजमोसिस, क्रिप्टोकोकोसिस, सिटाकोसिस, और साल्मोनेलोसिस जैसी श्वसन और संक्रामक बीमारियां फैलाने का कारक हैं। यह खासतौर पर खासकर बच्चों, बुजुर्गों, और अस्थमा रोगियों के लिए काफी खतरा पैदा करता है।