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दिल्ली धमाके में UAPA के तहत क्यों दर्ज हुआ मुकदमा, इसमें क्या हैं प्रावधान?
दिल्ली धमाके को लेकर पुलिस ने UAPA के तहत मुकदमा दर्ज किया है

दिल्ली धमाके में UAPA के तहत क्यों दर्ज हुआ मुकदमा, इसमें क्या हैं प्रावधान?

लेखन आबिद खान
Nov 11, 2025
11:12 am

क्या है खबर?

दिल्ली के लाल किले के पास हुए बम धमाके को पुलिस ने आतंकवादी घटना माना है। इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत FIR दर्ज की गई है। समाचार एजेंसी PTI ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने UAPA की धारा 16 और 18 के तहत मामला दर्ज किया है। इस विस्फोट में 8 लोगों की मौत हो गई है और कम से कम 20 घायल हुए हैं।

UAPA

सबसे पहले जानिए क्या है UAPA

UAPA साल 1967 में पारित हुआ था। इसका मुख्य व्यक्तियों और संगठनों की गैरकानूनी गतिविधियों को प्रभावी ढंग से रोकना और आतंकवादी गतिविधियों से निपटना है। इसके तहत सरकार किसी दोषी संगठन को आतंकवादी संगठन घोषित कर सकती है। UAPA के तहत उन सभी लोगों को दंडित किए जाने का प्रावधान है, जो गैरकानूनी गतिविधियों में भाग लेते हैं या ऐसी गैरकानूनी गतिविधियों में किसी तरह की सहायता करते हैं।

लाग

किन लोगों पर लागू होता है UAPA?

कानून के अनुसार, सरकार किसी भी समूह को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने पर या पाए जाने पर आतंकी संगठन घोषित कर सकती है। इसके अलावा किसी भी आतंकवादी समूह की मदद करने पर, आतंकवाद फैलाने के लिए लोगों को तैयार करने या उनकी मदद करने पर, कोई भी गैर-कानूनी या हथियार से किसी की मदद करने पर या फिर किसी दूसरे तरीके से आतंकवादी गतिविधि में शामिल पाए जाने पर UAPA के तहत कार्यवाही होती है।

सजा

जमानत से लेकर सजा तक में कड़े प्रावधान

अगर किसी शख्स पर UAPA के तहत मामला दर्ज होता है, तो उसे अग्रिम जमानत नहीं मिल सकती। कानून की धारा 43D (5) में प्रावधान है कि कोर्ट भी संदिग्ध को जमानत नहीं दे सकता, अगर उसके खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है। इसके अलावा जमानत से लेकर न्यायिक हिरासत तक के कड़े प्रावधान हैं। सरकार द्वारा घोषित आतंकी संगठन का सदस्य साबित होने पर आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है।

धारा

दिल्ली धमाके में UAPA की कौन-कौनसी धाराएं लगाई गई हैं?

लाल किला बम धमाके मामले में पुलिस ने धारा 16 और 18 के तहत मामला दर्ज किया है। धारा 16 में आतंकी कृत्य करने के लिए दंड का प्रावधान है, जिसमें न्यूनतम 5 साल से आजीवन कारावास या मौत की सजा हो सकती है। वहीं, धारा 18 आतंकवादी कृत्य की योजना बनाने, षडयंत्र रचने या मदद करने से जुड़ी है। इसमें 5 से 10 साल की सजा और जुर्माना शामिल है। पुलिस ने विस्फोटक अधिनियम की धाराएं भी जोड़ी हैं।

संशोधन

2019 में हुए संशोधन के बाद NIA को बढ़ी शक्तियां

UAPA में 2004, 2008 और 2019 में कुछ संशोधन किए गए है। बदलावों के बाद संगठन के साथ ही किसी व्यक्ति को भी केवल शक के आधार पर आतंकी घोषित किया जा सकता है और उसकी संपत्ति भी जब्त की जा सकती है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को किसी व्यक्ति को पकड़ने या जांच करने के लिए राज्यों की पुलिस से अनुमति लेने की भी जरूरत नहीं है। पुलिस हिरासत की अवधि भी दोगुना तक बढ़ा सकती है।