
रूस ने कच्चे तेल के निर्यात पर क्यों लगाया प्रतिबंध और भारत पर क्या होगा असर?
क्या है खबर?
टैरिफ से जुड़ी चिंताओं के बीच अब कच्चे तेल को लेकर भी बड़ी खबर सामने आई है। रूस ने 25 सितंबर से डीजल के निर्यात पर आंशिक प्रतिबंध लगा दिया है। इसके अलावा पेट्रोल के निर्यात पर पहले से लगे प्रतिबंध को इस साल के अंत तक बढ़ा दिया है। ये फैसला यूक्रेन की ओर से रूस की तेल रिफाइनरियों पर लगातार हमले के बाद उठाया गया है। समझते हैं क्या इस फैसले का भारत पर असर होगा।
फैसला
सबसे पहले जानिए रूस ने क्या कदम उठाया है
रूसी उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने कहा कि देश वर्ष के अंत तक डीजल निर्यात पर आंशिक प्रतिबंध और गैसोलीन निर्यात पर मौजूदा प्रतिबंध को आगे बढ़ाएगा। उन्होंने कहा, "इससे हमें बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति करने में मदद मिलेगी।" आदेश के मुताबिक, डीजल पर प्रतिबंध केवल उन रीसेलर पर लागू होगा, जो खुद उत्पादन नहीं करते हैं। वहीं, पेट्रोल पर प्रतिबंध सभी उत्पादकों और विक्रेताओं पर लागू होगा।
वजह
रूस ने क्यों लिया ये फैसला?
शुरुआत में रूस ने इस कमी के लिए लॉजिस्टिक कारणों को जिम्मेदार बताया था और कहा था कि आपूर्ति जल्द बहाल हो जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसे सीधे-सीधे यूक्रेनी हमलों से जोड़कर देखा जा रहा है। गर्मियों ने यूक्रेन ने रूसी रिफाइनरियों, पंपिंग स्टेशनों और फ्यूल ट्रेनों पर ड्रोन हमले तेज कर दिए हैं। इससे उत्पादन प्रभावित हुआ है। 24 सितंबर को भी यूक्रेन ने बश्कोर्तोस्तान में एक प्रमुख तेल रिफाइनरी पर हमला किया था।
कमी
क्या रूस में तेल की कमी हो गई है?
इजवेस्टिया अखबार के मुताबिक, रूस के कई क्षेत्रों में पेट्रोल पंपों ने ईंधन की जमाखोरी शुरू कर दी है। वे ग्राहकों को सीमित मात्रा में ही ईंधन दे रहे हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित क्रीमिया हुआ है। यहां के आधे पेट्रोल पंप पर ईंधन खत्म हो चुका है। क्रीमिया के गवर्नर ने भी ईंधन की कमी को स्वीकार करते हुए इसके लिए रूसी तेल रिफाइनरियों में उत्पादन प्रभावित होने को जिम्मेदार ठहराया है।
भारत
भारत पर क्या होगा असर?
रूसी उप-प्रधानमंत्री नोवाक ने बताया कि रूस की तेल रिफाइनरियों पर यूक्रेन के ड्रोन हमलों की वजह से पेट्रोलियम उत्पादों में थोड़ी कमी आई है, लेकिन रिजर्व तेल भंडार से कमी को पूरा किया जा रहा है। नोवाक ने भरोसा दिलाया कि जल्द यह समस्या दूर हो जाएगी। उन्होंने ये भी बताया कि इससे रूस और अन्य देशों के बीच हुए सरकारी समझौते प्रभावित नहीं होंगे। यानी साफ है कि भारत पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है।