
पंजाब सरकार ने अचानक क्यों की किसानों पर कार्रवाई, चुनाव या कारोबारियों का दबाव है वजह?
क्या है खबर?
किसानों और केंद्र सरकार के बीच कल करीब 4 घंटे तक बैठक चली थी। इसके बाद केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि सकारात्मक वार्ता हुई है और अगली बैठक 4 मई को होगी।
हालांकि, इसके बाद बैठक से जाते हुए कई किसान नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। रात होते-होते पंजाब पुलिस शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पहुंची और किसानों के टेंट तोड़ दिए।
आइए जानते हैं किसानों पर अचानक कार्रवाई की वजह क्या है।
उपचुनाव
क्या लुधियाना उपचुनाव है वजह?
लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। आम आदमी पार्टी (AAP) ने यहां से उद्योगपति संजीव अरोड़ा को उम्मीदवार घोषित किया है।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में लगे झटके के बाद AAP इस सीट को हर हाल में जीतना चाहती है। हाल ही में AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यहां का दौरा किया था।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान उन्हें फीडबैक मिला था कि किसान आंदोलन की वजह से ये सीट खतरे में पड़ सकती है।
व्यापारी
व्यापारियों का था दबाव
किसान यहां बीते 13 महीनों से धरने पर थे। इस वजह से स्थानीय लोगों और व्यापारियों को नुकसान हो रहा था।
दावा किया जा रहा है कि केजरीवाल से उद्योगपतियों ने कहा था कि अगर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसानों का धरना जारी रहा तो पार्टी को लुधियाना में होने वाले उपचुनाव में वोट नहीं मिलेंगे, क्योंकि इससे कारोबार को भारी नुकसान हो रहा है।
बैठक में भी AAP मंत्रियों ने किसानों से नाकेबंदी हटाने की अपील की थी।
समय
बैठक वाले दिन ही क्यों की गई कार्रवाई?
दरअसल, किसान नेता डल्लेवाल और पंधेर भी धरना स्थल पर थे। पुलिस को अंदेशा था कि अगर उन्हें वहां से जबरन हटाया गया तो कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
इससे बचने के लिए पुलिस के पास बैठक वाले दिन ही मौका बना था, क्योंकि दोनों किसान नेता बैठक में शामिल होने चंडीगढ़ गए थे।
उन्हें वहां से वापस आने के दौरान हिरासत में लेकर सीमा पर कार्रवाई शुरू कर दी।
कार्रवाई
3-4 दिन पहले से योजना बना रही थी पुलिस- रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक, पंजाब की पुलिस 3-4 दिन पहले से कार्रवाई की योजना बना रही थी। इसके लिए कुछ पुलिस अधिकारियों के बीच गुप्त बैठक भी हुई थी।
इसके बाद से ही बॉर्डर पर तैनाती बढ़ाई जाने लगी। पुलिस ने ये तय कर लिया था कि किसी भी हाल में किसान नेताओं को दोबारा बॉर्डर पर नहीं आने देना है। उन्हें चंडीगढ़-मोहाली या शंभू, खनौरी बॉर्डर पर रोकने की योजना थी।
असर
फैसले का सरकार पर क्या हो सकता है असर?
किसानों पर कार्रवाई के बाद विपक्षी पार्टियों AAP पर केंद्र सरकार के साथ मिलकर किसानों को धोखा देने के आरोप लगा रही हैं। पंजाब में किसानों की आबादी और 2 साल बाद चुनाव को देखते हुए माना जा रहा है कि किसानों की नाराजगी भारी पड़ सकती है।
हालांकि, इस फैसले से सरकार ने ये संकेत देने की कोशिश की है कि उसे व्यापारी वर्ग की भी चिंता है और वो गैर-किसान वर्ग के साथ खड़ी है।