भारत और कनाडा के बीच क्यों बढ़ा तनाव और अब कैसी होगी आगे की राह?
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत और कनाडा के रिश्तों में अब उच्च स्तरीय तनाव आ गया है। पहले कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा सहित 6 राजनयिकों और वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों को निष्कासित कर दिया। उसके बाद भी में भारत ने कदम उठाते हुए कनाडा के कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर सहित 6 राजनियकों को निष्कासित कर दिया। ऐसे में आइए जानते हैं दोनों देशों के बीच यह स्थिति क्यों आई।
भारत और कनाडा के बीच कैसे हुई विवाद की शुरुआत?
भारत सरकार की आतंकियों की सूची में शामिल कनाडाई नागरिक हरदीप निज्जर की 18 जून, 2023 को कनाडा के सरे में ब्रिटिश कोलंबिया गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसकी जांच में भारतीय नागरिक करण बराड़, अमनदीप सिंह, कमलप्रीत सिंह और करणप्रीत सिंह का नाम सामने आया था। इसके बाद पुलिस की शुरुआती जांच में पूरे मामले में भारत सरकार के एजेंटों की भूमिका पर भी संदेह होने का दावा किया गया था।
प्रधानमंत्री ट्रूूडो ने जांच की घोषणा कर बढ़ाया विवाद
इसके बाद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर में संसद में कहा कि कनाडाई अधिकारी भारतीय सरकारी एजेंटों और निज्जर की हत्या के बीच संभावित संबंध के विश्वसनीय आरोपों की जांच कर रहे हैं। ऐसे में एक शीर्ष भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया गया है। इस पर भारत ने निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोपों का खंडन करते हुए उन्हें बेतुका बता दिया। इसके साथ ही निज्जर पर खालिस्तानी आतंकवाद में शामिल होने का भी आरोप लगा दिया।
भारत ने कनाडाई लोगों को वीजा जारी करने पर भी लगाई रोक
प्रधानमंत्री ट्रूडो के आरोपों के बाद भारत ने ओटावा से भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति कम करने का निर्णय कर लिया और विदेश मंत्रालय को कनाडाई लोगों के लिए नए वीजा जारी करने पर भी रोक लगा दी। इससे तनाव में इजाफा हो गया।
भारत ने कनाडा से मांगे थे सबूत
प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में दिल्ली में आयोजित G-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर कहा था कि कनाडा हमेशा नफरत के खिलाफ कार्रवाई करते हुए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करेगा। इस पर भारत ने कहा था कि उसे कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखने के बारे में चिंता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा के आरोपों से संबंधित सबूत देने पर जांच कराने का वादा किया था।
ट्रूडो ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात का दावा कर दोहराए आरोप
प्रधानमंत्री ट्रूडो ने गत 12 अक्टूबर को लाओस में ASEAN शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से संक्षिप्त वार्ता करने का दावा किया था। उन्होंने यह ही कहा था कि वह कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की मौत में भारत की संलिप्तता के संबंध में लगाए गए विश्वसनीय आरोपों पर आज भी कायम हैं। हालांकि, बाद में भारत ने दोनों नेताओं की संक्षिप्त चर्चा के दावे को खारिज कर दिया और कहा कि दोनों केवल अभिवादन किया था।
ट्रूडो ने RCMP की रिपोर्ट के आधार पर किया बड़ा दावा
प्रधानमंत्री ट्रूडो ने 14 अक्टूबर को उस समय विवाद को और हवा दे दी जब उन्होंने रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बड़ा दावा कर दिया। उन्होंने कहा कि RCMP के पास स्पष्ट और पुख्ता सबूत हैं कि भारत सरकार के एजेंट कनाड़ा में सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधियों में शामिल हैं, जिनमें दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों को निशाना बनाकर गुप्त अभियान और जबरदस्ती करना शामिल है। वह इसकी जांच करा रहे हैं।
ट्रूडो ने बताई भारत की गलती
ट्रूडो ने कहा कि भारत सरकार ने यह सोचकर बड़ी गलती की है कि वह कनाडा की धरती पर कनाडाई लोगों के खिलाफ आपराधिक गतिविधि का समर्थन कर सकते हैं। कोई भी देश या लोकतंत्र, जो कानून के शासन को कायम रखता है, अपनी संप्रभुता के मौलिक उल्लंघन को कभी भी स्वीकार नहीं कर सकता है। उसके बाद कनाडा के विदेश विभाग ने भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार सहित 6 राजनयिकों और अधिकारियों को निष्कासित करने की भी घोषणा कर दी।
भारत ने भी की जवाबी कार्रवाई
ट्रूडो के आरोपों को भारत सरकार ने बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया और कहा कि ये ट्रूडो सरकार की वोट बैंक की राजनीति के राजनीतिक एजेंडे से प्रभावित है। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने कनाडा के कार्यवाहक उच्चायुक्त व्हीलर को तलब कर कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए उन्हें वापस बुलाने के आदेश जारी कर दिए। मंत्रालय ने कहा कि वह अपने अधिकारों की सुरक्षा का अधिकार सुरक्षित रखता है।
भारत ने कनाडा के राजनयिकों को दिया 19 अक्टूबर तक का समय
भारत ने कनाडा की कार्रवाई के जवाब ने भारत में मौजूद कनाडा के उच्चायुक्त सहित 6 राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया और उन्हें 19 अक्टूबर तक देश छोड़ने के आदेश जारी कर दिए। ऐसे में दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया।
अब कैसी होगी आगे की राह?
अभी यह कहना मुश्किल होगा की दोनों देश आगे क्या कदम उठाएंगे, लेकिन राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रूडो के इन आरोपों ने कनाडा को बहुत मुश्किल स्थिति में डाल दिया है। राजधानी ओटावा में कार्लटन विश्वविद्यालय में एक राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर स्टेफनी कार्विन ने अल जजीरा से कहा कि यूरोपीय संघ, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य प्रभावशाली देशों की भारत से संबंध विकसित करने की कोशिशों के बीच कनाडा का यह कदम उसके लिए घातक साबित होगा।
व्यापारिक संबंधों पर पड़ सकता है बुरा असर
इस विवाद ने दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को भी खतरे में डाल दिया। भारत 2022 में कनाडा का 10वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा था। उस साल दोनों देशों के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 11.9 अरब डॉलर (लगभग 1 लाख करोड़ रुपये) था।