असद अहमद एनकाउंटर में पुलिस ने दर्ज की FIR, कहा- जिंदा पकड़ने की कोशिश की थी
उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष जांच दल (SIT) ने गुरुवार को गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद अहमद और उमेश पाल हत्याकांड में उसके साथी शूटर गुलाम मोहम्मद को मार गिराया था। NDTV के मुताबिक, इस मामले में 3 FIR दर्ज की गई हैं। FIR में कहा गया कि पुलिस ने दोनों को पहले जिंदा पकड़ने की कोशिश की थी, लेकिन दोनों तरफ से गोलीबारी में असद और गुलाम घायल हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई।
दोनों को पहले कई बार चेतावनी दी गई- पुलिस
FIR के मुताबिक, पुलिस को 13 अप्रैल को सूचना मिली थी कि असद और गुलाम झांसी में हैं। इसके बाद घेराबंदी शुरू की गई। पुलिस के मुताबिक, "2 लोग बाइक पर चिरगांव की तरफ से आते दिखे। हमने दोनों को रुकने को कहा और डेढ़ किलोमीटर तक उनका पीछा किया। इस दौरान मोटरसाइकिल फिसल गई। हमने दोनों को बार-बार चेतावनी दी। तभी दोनों ने हमले की नीयत से फायरिंग शुरू कर दी।"
घटनास्थल से पुलिस को क्या-क्या मिला?
पुलिस के मुताबिक, "गोलीबारी बंद होने के बाद जब पुलिसकर्मी पास में पहुंचे तो असद और गुलाम घायल अवस्था में पड़े हुए थे। दोनों में जिंदा होने के कुछ-कुछ संकेत दिखाई दे रहे थे। पुलिस ने दोनों को अलग-अलग एंबुलेंस से अस्पताल भेजा, लेकिन दोनों की मौत हो गई।" पुलिस को घटनास्थल से पिस्तौल, गोली के खोल, जिंदा गोलियां, मोटरसाइकिल और दूसरे कई सबूत मिले हैं।
अतीक को ले जा रहे काफिले पर हमले की थी योजना
रिपोर्ट्स के मुताबिक, असद ने अपने पिता अतीक को ले जा रहे पुलिस काफिले पर हमला करने की योजना बनाई थी। बताया जा रहा है कि कड़ी सुरक्षा के चलते अतीक को छुड़ा पाना तो मुश्किल था, लेकिन मामले को सनसनीखेज बनाने और उत्तर प्रदेश पुलिस को बदनाम करने के लिए काफिले पर हल्की फायरिंग करने की योजना थी। उसका मकसद सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल उठाते हुए अतीक का साबरमती से उत्तर प्रदेश लाने पर रोक लगवाना भी था।
उमेश पाल की हत्या के बाद असद ने बदले थे 6 शहर
रिपोर्ट्स के मुताबिक, 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या के बाद असद एक दिन के लिए प्रयागराज से लखनऊ आया था। यहां वो एक घर में छिपा रहा। 26 फरवरी को मोटरसाइकिल से वो कानपुर और फिर यहां से मेरठ गया। मेरठ में एक हफ्ते रुकने के बाद दिल्ली के संगम विहार में कुछ दिन रुका। असद 15 मार्च को अजमेर गया और वहां से मुंबई के लिए रवाना हुआ। इसके बाद नासिक और कानपुर होते हुए झांसी पहुंचा।