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#NewsBytesExplainer: क्या होते हैं 'तीसरी दुनिया' के देश, जिनके नागरिकों को अमेरिका नहीं आने देंगे ट्रंप?
अमेरिकी राष्ट्रपति ने 'तीसरी दुनिया' के देशों से प्रवासन पूरी तरह रोकने की बात कही है

#NewsBytesExplainer: क्या होते हैं 'तीसरी दुनिया' के देश, जिनके नागरिकों को अमेरिका नहीं आने देंगे ट्रंप?

लेखन आबिद खान
Nov 28, 2025
03:13 pm

क्या है खबर?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वे अमेरिका में 'तीसरी दुनिया' के देशों से आने वाले प्रवासन को स्थायी रूप से रोक देंगे। ट्रंप ने कहा कि जो लोग अमेरिका के लिए फायदेमंद नहीं हैं या जो हमारे देश से प्यार नहीं करते, उन्हें भी हटाया जाएगा। ट्रंप ने ये घोषणा एक अफगान शरणार्थी द्वारा नेशलन गार्ड पर गोलीबारी के बाद की है। आइए जानते हैं 'तीसरी दुनिया' के देशों का क्या मतलब होता है।

देश

क्या होती हैं थर्ड वर्ल्ड कंट्री या तीसरी दुनिया के देश?

'तीसरी दुनिया' शब्द का इस्तेमाल पहली बार फ्रांसीसी जनसांख्यिकीविद् अल्फ्रेड सॉवी ने 1952 में शीत युद्ध के दौरान किया था। अक्सर गरीब या अविकसित देशों के लिए इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इसका कोई कानूनी मतलब नहीं है और ये अब लगभग प्रचलन से बाहर हो गया है। आम तौर पर इसका इस्तेमाल अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और मध्य-पूर्व के कम या निम्न आय वाले देशों के लिए होता है।

इतिहास

'पहली' और 'दूसरी दुनिया' के बारे में भी जानिए

'तीसरी दुनिया' शब्द शीत युद्ध के दौरान देशों को वर्गीकृत करने के लिए इस्तेमाल होता था। तब एक ओर अमेरिका के नेतृत्व वाला पश्चिमी गुट था। इनमें अमेरिका और उसके NATO सहयोगी शामिल थे। इन्हें 'फर्स्ट वर्ल्ड कंट्री' कहा जाता था। वहीं, दूसरी ओर सोवियत संघ के नेतृत्व वाला पूर्वी गुट था। इन्हें 'सेकंड वर्ल्ड कंट्री' कहा जाता था। इस शीत युद्ध में जो देश किसी भी गुट में नहीं थे, उन्हें 'थर्ड वर्ल्ड कंट्री' कहा जाता था।

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देश

कौनसा देश किस श्रेणी में था?

'पहली दुनिया' में उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी यूरोप, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया शामिल थे। पश्चिमी देशों से जुड़े होने के कारण कई अफ्रीकी क्षेत्रों भी इसमें थे। स्विट्जरलैंड, स्वीडन, ऑस्ट्रिया, आयरलैंड और फिनलैंड जैसे तटस्थ देशों को भी 'पहली दुनिया' के देश के रूप में माना जाता था। वहीं, 'दूसरी दुनिया' के देशों में पोलैंड, पूर्वी जर्मनी, चेकोस्लोवाकिया और पूर्वी यूरोप से लेकर चीन से जुड़े एशियाई देशों जैसे मंगोलिया, उत्तर कोरिया, वियतनाम, लाओस और कंबोडिया शामिल थे।

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भारत

भारत किस श्रेणी में आता है? 

शीत युद्ध के समय या उसके बाद भारत गुटनिरपेक्ष सिद्धांत का पालन करता रहा है। इस वजह से ऐतिहासिक रूप से भारत को 'तीसरी दुनिया' के देशों में रखा जा सकता है। हालांकि, भारत को ट्रंप की प्रस्तावित श्रेणी में शामिल किया जाएगा या नहीं, यह पूरी तरह से इस्तेमाल की जा रही शब्द की परिभाषा पर निर्भर करता है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में इस शब्द का कोई कानूनी मतलब नहीं है।

वर्तमान

फिलहाल किस संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है तीसरी दुनिया शब्द?

1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद 'तीसरी दुनिया' शब्द ने अपना मूल राजनीतिक मतलब खो दिया है। फिलहाल इस शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर उन देशों के लिए किया जाता है, जो आर्थिक रूप से वंचित हैं या अभी भी विकसित हो रहे हैं। हालांकि, इस शब्द के इस्तेमाल को अपमानजनक माना जाता है। अब 'तीसरी दुनिया' के बजाय आमतौर पर 'विकासशील देश', 'कम विकसित देश', या 'कम आय वाले देश' का इस्तेमाल किया जाता है।

बयान

'तीसरी दुनिया' के बारे में ट्रंप ने क्या कहा?

ट्रंप ने कहा, "हमने तकनीकी रूप से प्रगति की है, लेकिन आव्रजन नीति ने उन लाभों और कई लोगों के जीवन स्तर को नष्ट कर दिया है। मैं अमेरिकी व्यवस्था को पूरी तरह से ठीक होने देने के लिए सभी तीसरी दुनिया के देशों से प्रवासन को स्थायी रूप से रोक दूंगा और बाइडन द्वारा मंजूर किए गए लाखों अवैध प्रवेशों को खत्म करूंगा। केवल रिवर्स माइग्रेशन ही इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक कर सकता है।"

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