
#NewsBytesExplainer: उत्तराखंड में पलक झपकते कैसे बह गया पूरा गांव, दरकते पहाड़ या बादल फटना जिम्मेदार?
क्या है खबर?
उत्तराखंड के धराली गांव में कल दोपहर अचानक आए जलसैलाब में 4 लोगों की मौत हो गई है और 50 से ज्यादा लोग लापता हैं। भारतीय सेना के भी 8 से 10 जवान लापता बताए जा रहे हैं। खीर गंगा नदी में पहाड़ों से बहकर आए मलबे से केवल 30 सेकंड के भीतर धराली गांव लगभग पूरा बह गया है। हाल ही में पहाड़ों में इस तरह की घटनाएं बढ़ी हैं। आइए इसकी वजह समझते हैं।
बारिश
क्या लगातार बारिश से आई त्रासदी?
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, कल सुबह 8:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के 6 मौसम केंद्रों ने कुल 120 मिलीमीटर बारिश होने की जानकारी दी है। हालांकि, ये बारिश हल्की से मध्यम थी, लेकिन पिछले 3 दिनों से लगातार हो रही थी। इसके बाद कल दोपहर खीर गंगा नदी में अचानक भीषण बाढ़ आई, जिसने किनारे बसे धराली गांव को अपनी चपेट में ले लिया।
बादल फटना
क्या बादल फटने से आई तबाही?
IMD के मुताबिक, जब अचानक 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के इलाके में एक घंटे या उससे कम समय में 100 मिलीमीटर या उससे ज्यादा बारिश हो जाए, तो इसे बादल फटना कहते हैं। आसान भाषा में समझें तो जब छोटे से इलाके में बहुत कम समय में बहुत ज्यादा बारिश हो जाए, तो इसे बादल फटना माना जाता है। आमतौर पर बादल कब फटेगा, इसका पहले से अनुमान लगाना मुश्किल होता है।
वजह
क्यों फटते हैं बादल?
यह प्रलयकारी घटना तब होती है, जब तापमान बढ़ने से भारी मात्रा में नमी वाले बादल एक जगह इकट्ठा होने पर पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं। इससे बूंदों का भार इतना ज्यादा हो जाता है कि बादल का घनत्व बढ़ जाता है। इन बादलों को क्यूम्यलोनिम्बस भी कहा जाता है, तो खड़े स्तंभ की तरह होते हैं। ये पहाड़ की चोटियों से टकराकर बरस पड़ते हैं, जिससे एक सीमित दायरे में अचानक तेज बारिश होने लगती है।
बयान
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
IMD के महानिदेशक डॉक्टर एम महापात्र ने कहा, "हम बादल फटने की पुष्टि नहीं कर सकते, लेकिन इसकी संभावना को भी नकार नहीं सकते। कभी-कभी उत्तरी उत्तरकाशी के ऊपरी इलाकों और यहां तक कि तिब्बत के कुछ हिस्सों में भी भारी बारिश हो सकती है। जब ऐसा होता है, तो पानी दक्षिण की ओर बहता है। कल ही हमने उत्तराखंड में गंगा और यमुना नदियों के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों से आने वाले पानी के कारण उत्तर प्रदेश में बाढ़ देखी।"
पहाड़
हिमालय के कमजोर पहाड़ भी है वजह
विशेषज्ञ लोग हिमालय को 'जवान पहाड़' कहते हैं। यानी इसे बेहद नई पर्वत श्रृंखला माना जाता है। हिमालय के पहाड़ कमजोर और यहां की चट्टान ज्यादा ठोस नहीं है। यही वजह है कि जब बादल फटने से पहाड़ों पर पानी का दबाव बढ़ता है, तो ये एकदम से टूट जाते हैं और भारी मलबा निचले इलाकों में बहकर आ जाता है। पहाड़ों में जंगलों की कटाई की वजह से भी मिट्टी की पकड़ कमजोर हो गई है।
विकास
पहाड़ों पर विकास परियोजनाएं भी जिम्मेदार
उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई विशाल परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इनके लिए जंगलों को काटा गया है, पहाड़ तोड़े गए हैं और सुरंगें बनाई गई हैं। जानकार इसे पहाड़ों के साथ खिलवाड़ मानते हुए इनके दुष्परिणामों की चेतावनी देते आए हैं। वहीं, बढ़ते पर्यटकों को देखते हुए स्थानीय लोगों ने भी नदियों के किनारे पर्यावरणीय नियम-कानूनों को तोड़ते हुए नई-नई इमारतें बनाई हैं।