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टेलीग्राम ग्रुप, तुर्की यात्रा और पाकिस्तानी हैंडलर्स से संपर्क; कैसे कट्टरपंथी में गए डॉक्टर?

टेलीग्राम ग्रुप, तुर्की यात्रा और पाकिस्तानी हैंडलर्स से संपर्क; कैसे कट्टरपंथी में गए डॉक्टर?

लेखन आबिद खान
Nov 12, 2025
05:25 pm

क्या है खबर?

दिल्ली में लाल किला के पास हुए कार धमाके के पीछे जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल को जिम्मेदार माना जा रहा है। इसमें जैश ने डॉक्टर, प्रोफेसर और पढ़े-लिखों की भर्ती की, ताकि इनकी पेशेवर गतिविधियों की वजह से किसी को शक न हो। पता चला है कि ये सभी पाकिस्तानी हैंडलर्स के सीधे संपर्क में थे और कुछ ने तो विदेश यात्राएं भी की थीं। आइए जानते हैं मॉड्यूल ने कैसे पढ़े-लिखों में कट्टरपंथ को बढ़ावा दिया।

सोशल मीडिया

आतंकियों ने टेलीग्राम पर बना रखे थे ग्रुप

रिपोर्ट के मुताबिक, जांचकर्ताओं को पता चला है कि संदिग्ध डॉक्टरों के मॉड्यूल का स्रोत 2 टेलीग्राम ग्रुप थे। इन्होंने डॉक्टरों को भड़काने में अहम भूमिका निभाई। इनमें से एक ग्रुप का नाम फरजंदान-ए-दारुल उलूम था। वहीं, दूसरे ग्रुप को पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद का आतंकवादी उमर बिन खत्ताब चलाता था। संदिग्ध डॉक्टर उमर नबी और शोपियां के इमाम इरफान अहमद वाघा ने इन्हीं ग्रुप के जरिए बातचीत शुरू की थी।

तुर्की

संदिग्धों के तुर्की दौरे पर भी नजर

एजेंसियों संदिग्धों की तुर्की यात्रा को भी खंगाल रही है। शक है कि तुर्की में ही मुजम्मिल और उमर की जैश के हैंडलर से मुलाकात हुई थी। दोनों की यात्रा को लेकर खुफिया एजेंसी और ज्यादा जानकारी जुटा रही है। तुर्की से लौटने के बाद ही इस समूह ने देशभर में अपनी गतिविधियां बढ़ाईं। मुजम्मिल ने फरीदाबाद के अल फलाह मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और आदिल की तैनाती उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में हुई।

शादी

डॉक्टर आदिल की शादी में सक्रिय हुआ समूह

दैनिक भास्कर के मुताबिक, यह मॉड्यूल 4 अक्टूबर को सक्रिय हुआ था। इसी दिन सहारनपुर में डॉक्टर आदिल की शादी थी। शादी में शामिल हुए कुछ लोगों की पहचान में एजेंसियां जुटी हुई हैं। 27 अक्टूबर को कश्मीर के नौगाम में जैश से जुड़े पोस्टर लगे थे। पुलिस ने CCTV फुटेज खंगाले तो आदिल दिखाई दिया। फोन की जांच से पता चला कि वो पाकिस्तानी हैंडलर्स के संपर्क में था। 6 नवंबर को उसे सहारनपुर से पकड़ लिया गया।

सदस्य

समूह में 9-10 सदस्य होने का शक

इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से कहा कि उमर, मुजम्मिल और डॉक्टर शाहीन को मिलाकर कुल 9-10 सदस्य एक आतंकी लॉजिस्टिक्स नेटवर्क का हिस्सा थे। इसमें शामिल लोगों ने अपनी पेशेवर पहुंच का इस्तेमाल नेटवर्क के लिए सामग्री जुटाने, विस्फोटक इकट्ठा करने और अभियानों का समन्वय करने के लिए किया। कथित तौर पर अन्य सदस्यों को भर्ती और रसद व्यवस्था संभालने के लिए अलग-अलग राज्यों में तैनात किया गया था। एजेंसियां इनकी पहचान कर रही है।