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#NewsBytesExplainer: तेजस विमान ने भरी पहली उड़ान, कैसे बढ़ेगी भारतीय वायुसेना की ताकत?
तेजस Mk-1A ने आज पहली उड़ान भरी है

#NewsBytesExplainer: तेजस विमान ने भरी पहली उड़ान, कैसे बढ़ेगी भारतीय वायुसेना की ताकत?

लेखन आबिद खान
Oct 17, 2025
03:44 pm

क्या है खबर?

भारत के स्वदेशी लड़ाकू विमान तेजस Mk-1A ने आज पहली बार उड़ान भरी है। हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड (HAL) के नासिक स्थित एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग डिविजन में इस स्वदेशी विमान ने पहली बार आसमान छुआ। इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनने के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद थे। उन्होंने Mk-1A की तीसरी प्रोडक्शन लाइन और HTT-40 विमान की दूसरी प्रोडक्शन लाइन का भी उद्घाटन किया। आइए जानते हैं तेजस से वायुसेना की ताकत कितनी बढ़ेगी।

उत्पादन

अब हर साल 24 तेजस विमानों का होगा उत्पादन

रक्षा मंत्री ने तेजस के लिए HAL की तीसरी उत्पादन लाइन का भी उद्घाटन किया। यहां हर साल 8 तेजस विमान बनेंगे। बेंगलुरु में HAL के पास तेजस विमानों की 2 उत्पादन लाइन पहले से हैं, जहां सालाना 16 विमान बनते हैं। नासिक में तीसरी उत्पादन लाइन के बाद अब सालाना 24 तेजस विमानों का निर्माण किया जा सकेगा। इसका काम 2023 में तेजस विमानों की डिलीवरी में तेजी लाने के लिए शुरू किया गया था।

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खासियत

क्या है तेजस विमानों की खासियत?

तेजस एक आधुनिक और बहु-भूमिका वाला स्वदेशी 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जिसे HAL ने विकसित किया है। इसमें Mk-1 वेरिएंट की तुलना में कई उन्नत सुविधाएं हैं, जिनमें इजरायली EL/M-2025 AESA रडार और जैमर के साथ आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) क्षमताएं शामिल हैं। HAL के अनुसार, "तेजस Mk-1A में उन्नत इलेक्ट्रॉनिक रडार, युद्ध और संचार प्रणाली, अतिरिक्त लड़ाकू क्षमता और बेहतर रखरखाव सुविधाएं हैं।"

खास बातें

तेजस से जुड़ी ये खास बातें भी जानिए

13 मीटर से ज्यादा लंबा ये विमान एक बार में 3,000 किलोमीटर तक लगातार उड़ान भर सकता है। इसके विंग्स (पंख) में 9 जगहों पर अलग-अलग तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं। पिछले साल मार्च में इन विमानों ने पहली परीक्षण उड़ान सफलतापूर्क पूरी की थी। तेजस मार्क-1A के 65 प्रतिशत से ज्यादा उपकरण भारत में ही बने हैं। 2015 से वायुसेना इन विमानों के पुराने संस्करण का इस्तेमाल कर रही है।

तुलना

पुराने तेजस के मुकाबले कितने बेहतर हैं Mk-1A?

तेजस का AESA रडार एक साथ कई लक्ष्यों और ठिकानों को ट्रैक कर सटीक हमला कर सकता है। इसका एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट दुश्मन के रडार और मिसाइल को चकमा देने में सक्षम है। इसमें दुश्मन विमानों का जल्दी पता लगाने के लिए अपग्रेडेड रडार वार्निंग रिसीवर सिस्टम (RWR) भी है। इसके अलावा विमान में नया एवियोनिक सूट, यूनिफाइड इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट (UEWS), सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर (SPJ), ऑनबोर्ड ऑक्सीजन जेनरेशन सिस्टम (OOGS) जैसी तकनीकों से भी लैस है।

ताकत

कैसे बढ़ेगी वायुसेना की ताकत?

फिलहाल भारतीय वायु सेना के पास केवल 29 स्क्वॉड्रन है, जबकि जरूरत 42 लड़ाकू स्क्वाड्रन की है। नए तेजस विमान वायुसेना से हाल ही में सेवानिवृत्त हुए मिग-21 विमानों की जगह लेंगे। 2021 में रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस विमानों की खरीद के लिए HAL के साथ 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। अलग-अलग वजहों से हुई देरी के बाद 4 सालों के भीतर सभी तेजस विमानों को वायुसेना को सौंपने की योजना है।

देरी

आपूर्ति में देरी पर वायुसेना प्रमुख जता चुके हैं चिंता

इसी साल मई में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने रक्षा खरीद परियोजनाओं में देरी पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था, "तेजस Mk1A लड़ाकू विमान की डिलीवरी अभी तक रुकी हुई है। इसके लिए फरवरी 2021 में HAL के साथ 48,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे। अभी तक 83 विमानों में से एक भी विमान नहीं दिया गया है। शुरुआत में डिलीवरी मार्च 2024 में शुरू होने वाली थी।"