
ट्रांसजेंडरों को रोजगार और चिकित्सा देखभाल में मिलेंगे समान अवसर, सुप्रीम कोर्ट ने समिति गठित की
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकार बढ़ाने को लेकर एक जरूरी फैसला दिया है। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। समिति लिंग के अनुरूप न होने वाले व्यक्तियों के लिए रोजगार के समान अवसर, समावेशी चिकित्सा देखभाल और सुरक्षा को लेकर काम करेगी। कोर्ट ने कहा कि इस फैसले से ट्रांसजेंडर के भविष्य को सुरक्षित करने की उम्मीद है।
ट्रांसजेंडर
समिति की अध्यक्षता करेंगी आशा मेनन
बार एंड बेंच के मुताबिक, समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश आशा मेनन करेंगी, जिसमें ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता ग्रेस बानू, अकाई पद्मशाली, गौरव मंडल, CLPR बेंगलुरु के सदस्य डॉ संजय शर्मा और न्यायमित्र वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी सदस्य होंगी। कोर्ट ने कहा, "समिति समान अवसर, चिकित्सा देखभाल और लैंगिक भेदभाव न करने वाले व्यक्तियों की सुरक्षा पर विचार करेगी, हमने दिशानिर्देश बनाएं हैं और जिन संस्थानों के पास दिशानिर्देश नहीं हैं, उन्हें केंद्र द्वारा नीति बनाए जाने तक उनका पालन करना होगा।"
विवाद
किस मामले पर कोर्ट ने दिया फैसला?
एक ट्रांसजेंडर महिला उत्तर प्रदेश और गुजरात के दो निजी स्कूलों में शिक्षिक बनी थीं, लेकिन स्कूलों ने लैंगिक पहचान के कारण उनकी नियुक्ति समाप्त कर दी। इसके बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट गई थीं। उन्होंने कोर्ट को बताया था कि उन्हें उत्तर प्रदेश में नियुक्ति पत्र दिया गया था, लेकिन वहां केवल 6 दिन पढ़ा सकती थीं। गुजरात में भी उन्हें नियुक्ति पत्र मिला, लेकिन कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति नहीं दी गई। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मुआवजा दिया है।