
राज्यपाल के खिलाफ फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची तमिलनाडु सरकार, अब क्या हुआ विवाद?
क्या है खबर?
तमिलनाडु की सरकार और राज्यपाल आर एन रवि के बीच विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। अब एक और मामले पर तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। कलैगनार विश्वविद्यालय विधेयक को लेकर सरकार ने फिर राज्यपाल के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस विधेयक को राज्यपाल ने मंत्रिपरिषद की सलाह पर मंजूरी देने के बजाय राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।
विधेयक
क्या है कलैगनार विश्वविद्यालय विधेयक?
तमिलनाडु विधानसभा ने इस साल की शुरुआत में पूर्व मुख्यमंत्री एम करुणानिधि के नाम पर एक राज्य विश्वविद्यालय की स्थापना करने के लिए कलैगनार विश्वविद्यालय विधेयक, 2025 पारित किया था। इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य उच्च शिक्षा तक पहुंच का विस्तार करना, अनुसंधान को बढ़ावा देना और शैक्षणिक ढांचे के माध्यम से तमिल भाषा, संस्कृति और सामाजिक न्याय मूल्यों को बढ़ावा देना है। विधेयक को मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया था।
याचिका
तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से क्या मांग की है?
लाइव लॉ के मुताबिक, अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका में सरकार ने कहा है कि राज्यपाल की कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 163(1) और 200 का उल्लंघन करती है और अवैध और स्पष्ट रूप से असंवैधानिक है। सरकार ने मांग की है कि विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने के फैसले को असंवैधानिक घोषित किया जाए। इसके अलावा विधेयक को दोबारा राज्यपाल को भेजने के लिए राष्ट्रपति को निर्देश देने वाला आदेश जारी किया जाए।
पिछले विवाद
तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के बीच पहले भी हुए विवाद
तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के बीच पहले भी विधेयकों को लंबित रखने पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था। तब राज्यपाल को सुप्रीम कोर्ट से फटकार लगी थी। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल को 3 महीने के अंदर विधेयकों पर निर्णय लेना होगा कि इन्हें मंजूरी दी जाए, या फिर सदन में वापस भेजा जाए या राष्ट्रपति को भेजा जाए। DMK नेता के पोनमुडी को मंत्री बनाने को लेकर भी राज्यपाल-सरकार में विवाद हुआ था।
विवाद
विधेयकों को लंबित रखने पर गरमाया विवाद
विधेयकों को 3 महीने के भीतर पारित करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रपति ने 14 सवाल कोर्ट को भेजे थे। इस पर लंबी सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। आखिरी दिन सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था, "अगर राज्यपाल विधेयकों पर महीनों तक बैठे रहेंगे, तो क्या कोर्ट मजबूर होकर हाथ धरे बैठी रहेगी?" वहीं, सरकार ने कहा था कि राष्ट्रपति और राज्यपाल पर समयसीमा लागू करना गलत है।