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    वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, केंद्र की नीति उचित- सुप्रीम कोर्ट
    वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता- सुप्रीम कोर्ट

    वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता, केंद्र की नीति उचित- सुप्रीम कोर्ट

    लेखन मुकुल तोमर
    May 02, 2022
    01:31 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ने कोविड वैक्सीनेशन पर एक अहम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि किसी को भी कोविड वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

    मौजूदा वैक्सीन पॉलिसी का समर्थन करते हुए कहा कि इसे मनमानी नहीं कहा जा सकता है और ये उचित नीति है।

    कोर्ट ने कहा कि वैक्सीन से संबंधित नियमों के जरिए वैक्सीन न लगवाने वाले लोगों पर लगाई गई पाबंदियों को आनुपातिक नहीं कहा जा सकता।

    आदेश

    कोर्ट ने क्या कहा?

    वैक्सीनों को अनिवार्य किए जाने के खिलाफ लगाई गई याचिकाओं पर आदेश जारी करते हुए जस्टिस एलएन राव और बीआर गवई की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा, "गंभीर बीमारी, मृत्यु और नए वेरिएंट्स को रोकने जैसे वैक्सीनेशन के फायदों पर विशेषज्ञों की सर्वसम्मत राय से संबंधित जो सामग्री कोर्ट के सामने पेश की गई, उससे कोर्ट संतुष्ट है कि भारत सरकार की मौजूदा वैक्सीनेशन नीति को अनुचित या मनमानी नहीं कहा जा सकता।"

    बयान

    "सरकारों ने पेश नहीं किया वैक्सीन नहीं लगवाने वाले लोगों के अधिक संक्रमण फैलाने का डाटा"

    कोर्ट ने कि केंद्र या राज्य सरकारों ने उसके सामने ऐसा कोई डाटा पेश नहीं किया जिससे साबित होता हो कि वैक्सीन न लगवाने वाले लोग वैक्सीनेटेड लोगों के मुकाबले अधिक बीमारी फैलाते हैं, इसलिए गैर-वैक्सीनेटेड लोगों पर पाबंदियों को आनुपातिक नहीं कहा जा सकता।

    व्यक्तिगत अधिकार

    शारीरिक अखंडता कानून के तहत संरक्षित- सुप्रीम कोर्ट

    जबरदस्ती वैक्सीन लगाए जाने पर कोर्ट ने कहा कि शारीरिक अखंडता कानून के तहत संरक्षित है और किसी को भी वैक्सीन लगवाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।

    इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि जन स्वास्थ्य के हित में व्यक्तिगत अधिकारों पर कुछ पाबंदियां लगाई जा सकती हैं, लेकिन जब तक कोविड मामले कम हैं, तब तक वैक्सीन नहीं लगवाने लोगों के सार्वजनिक स्थलों, सेवाओं और संसाधनों के उपयोग पर कोई पाबंदी न लगाई जाए।

    प्रतिकूल घटनाएं

    केंद्र को प्रतिकूल घटनाओं की जानकारी सार्वजनिक सिस्टम पर डालने का निर्देश

    अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को वैक्सीन लगवाने पर होने वाली प्रतिकूल घटनाओं की जानकारी सार्वजनिक सिस्टम पर डालने का निर्देश भी दिया। उसने कहा कि ट्रायल से संबंधित सारा डाटा बिना किसी देरी के जनता को प्रदान किया जाना चाहिए, लेकिन इस दौरान लोगों की निजता का उल्लंघन न किया जाए।

    बच्चों के वैक्सीनेशन पर कोर्ट ने कहा कि वैश्विक मानकों का पालन करते हुए उनका वैक्सीनेशन हो रहा है।

    अपील

    उद्धव ठाकरे ने की थी वैक्सीनेशन अनिवार्य करने की अपील

    बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश ऐसे समय पर जारी किया है जब पिछले हफ्ते ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने केंद्र सरकार से कोविड वैक्सीनेशन अनिवार्य करने की अपील की थी।

    अभी देश में कोविड वैक्सीनेशन अनिवार्य नहीं है और लोग अपने स्वेच्छा से वैक्सीन नहीं लगवाने का फैसला भी ले सकते हैं। हालांकि कई जगहों पर बिना वैक्सीनेशन के प्रवेश नहीं मिलता, ऐसे में उन जगहों पर जाने वाले लोगों को वैक्सीनेशन कराना होता है।

    वैक्सीनेशन

    देश में वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?

    देश में अब तक कोविड वैक्सीन की 1,89,23,98,347 खुराकें लगाई जा चुकी हैं।

    18 साल से अधिक उम्र के 91.44 करोड़ लोगों को पहली और 81.19 करोड़ लोगों को दोनों खुराकें लगाई जा चुकी हैं।

    15-18 साल के 5.85 करोड़ बच्चों को पहली और 4.25 करोड़ को दूसरी खुराक लगाई जा चुकी है। 12-14 साल के 2.92 करोड़ बच्चों को पहली और 74.73 लाख को दूसरी खुराक लग चुकी है।

    2.84 करोड़ लाभार्थियों को बूस्टर खुराक लगाई जा चुकी है।

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