सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लागू न हो सकने वाले आदेश देने से बचें हाई कोर्ट्स
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि हाई कोर्ट्स के ऐसे आदेश देने से बचना चाहिए, जिन्हें लागू करना असंभव होता है। इस टिप्पणी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य के नर्सिंग होम में उपलब्ध बिस्तरों पर ऑक्सीजन की सुविधा देने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने यह भी कहा था कि राज्य के हर गांव के लिए दो एंबुलेंस का इंतजाम होना चाहिए।
'राम भरोसे' वाली टिप्पणी रद्द करने से इनकार
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस विनीत सरण और बीआर गवई की बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट्स को ऐसे आदेश देने चाहिए, जिन्हें लागू किया जा सके। हालांकि, शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट की 'राम भरोसे' वाली टिप्पणी को रद्द करने से इनकार कर दिया और कहा कि ऐसी टिप्पणियों को सलाह के तौर पर लेना चाहिए।
निर्देश नहीं, सलाह के तौर पर लें ऐसे टिप्पणियां- सुप्रीम कोर्ट
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश की तरफ से दलील दे रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 'राम भरोसे' जैसी टिप्पणियां स्वास्थ्यकर्मियों को हतोत्साहित करती है और डर पैदा करती है। बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को यह टिप्पणी की थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी टिप्पणियां आम जनता की चिंता के लिए की जाती है। राज्य इसे आदेश की तरह न लेकर सलाह के तौर पर ले सकता है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा था?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के सरकारी अस्पताल में एक शख्स की मौत और उसे अज्ञात घोषित कर अंतिम संस्कार किए जाने से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते कठोर टिप्पणियां की थी। कोर्ट की जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार की बेंच ने कहा कि अगर मेरठ जैसे शहर के अस्पताल में यह स्थिति है तो छोटे शहरों और गांवों की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को प्रसिद्ध हिंदी कहावत 'राम भरोसे' की तरह माना जा सकता है।
चर्चा में रही हैं हाई कोर्ट्स की कई टिप्पणियां
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच कई राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराने पर हाई कोर्ट्स ने कड़ा रुख अपनाया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि अस्पतालों में ऑक्सीजन न मिलने के कारण कोरोना संक्रमितों की मौत आपराधिक कृत्य है और यह नरसंहार से कम नहीं है। इसी तरह दिल्ली हाई कोर्ट ने भी ऑक्सीजन की कमी को लेकर केंद्र को कई बार फटकार लगाई थी।