अध्यादेश मामला: सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस, दिल्ली सरकार ने की रोक लगाने की मांग
क्या है खबर?
दिल्ली में सेवाओं पर अधिकार से संंबंधित केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दायर दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया है।
याचिका पर सुनवाई के दौरान आम आदमी पार्टी (AAP) की दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वकील ने अंतरिम राहत मांगते हुए अध्यादेश पर रोक लगाने का अनुरोध भी किया। उसके इस अनुरोध पर सोमवार को फैसला सुनाया जाएगा।
सुनवाई
सुनवाई में क्या-क्या हुआ?
याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्र के अध्यादेश को संविधान के खिलाफ बताया और इसके कई प्रावधानों पर सवाल उठाया।
उन्होंने उपराज्यपाल के दिल्ली सरकार के कई विशेषज्ञों को बर्खास्त करने के मामले को भी उठाया और इससे संबंधित धारा पर रोक लगाने की मांग की।
उन्होंने धारा 45K का भी जिक्र किया और कहा कि इसमें उपराज्यपाल को असीमित ताकत दी गई है, जो कोर्ट के संवैधानिक फैसले के खिलाफ है।
दलील
दिल्ली सरकार ने क्या दलील दी है?
दिल्ली सरकार के वकील सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कई अधिनियमों पर रोक लगाई है और यह केवल एक अध्यादेश से जुड़ा मामला है।
उन्होंने कहा कि केंद्र के अध्यादेश ने एक चुनी हुई सरकार और मुख्यमंत्री की भूमिका को कम कर दिया है। उनकी दलील सुनने के बाद कोर्ट अध्यादेश पर रोक लगाने पर सुनवाई करने को तैयार हो गया।
इससे पहले कोर्ट ने कहा था कि वह कानून पर रोक नहीं लगा सकती।
सुनवाई
याचिका पर अब 17 जुलाई को होगी सुनवाई
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने याचिका पर सुनवाई के बाद दिल्ली सरकार से याचिका में संशोधन करने और उपराज्यपाल को मामले में प्रतिवादी बनाने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट की बेंच ने कहा कि वह 17 जुलाई को अंतरिम राहत की मांग पर सुनवाई करेगी, जिसमें अध्यादेश पर रोक के साथ-साथ दिल्ली सरकार द्वारा नियुक्त 437 सलाहकारों को बर्खास्त करने के उपराज्यपाल के फैसले पर रोक भी शामिल है।
मामला
क्या है अध्यादेश का मामला?
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 11 मई को अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग से जुड़े अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिए थे। इसके बाद 19 मई को केंद्र ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश जारी किया।
इसके जरिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बेअसर कर दिया गया और नौकरशाहों के ट्रांसफर और पोस्टिंग पर अंतिम फैसले का अधिकार फिर से उपराज्यपाल को दे दिया गया।
केजरीवाल सरकार ने फैसले के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है।