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EVM-VVPAT मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकते
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकता

EVM-VVPAT मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हम चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकते

लेखन आबिद खान
Apr 24, 2024
04:01 pm

क्या है खबर?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की सभी पर्चियों के मिलान की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज भी सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वह चुनाव को नियंत्रित नहीं कर सकता और चुनाव आयोग के कामकाज को निर्देशित नहीं कर सकता। उसने EVM के सोर्स कोड सार्वजनिक करने का भी विरोध किया और कहा कि इसका दुरुपयोग हो सकता है। आज कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है।

सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछे ये सवाल

कोर्ट ने चुनाव आयोग से कई सवाल पूछे। पहला- माइक्रोकंट्रोलर कहां लगा होता है, कंट्रोलिंग यूनिट या VVPAT में? दूसरा- माइक्रोकंट्रोलर को केवल एक बार प्रोग्राम किया जा सकता है? तीसरा- आयोग के पास कितनी सिंबल लोडिंग यूनिट हैं? चौथा- क्या कंट्रोल यूनिट के साथ VVPAT भी सील की जाती है? पांचवा- चुनाव याचिका दायर करने की सीमा 45 दिन की है और डाटा भी 45 दिन के लिए सुरक्षित रखा जाता है। डाटा स्टोर की सीमा बढ़ाई जानी चाहिए?

कोर्ट

कोर्ट के सवालों पर चुनाव आयोग ने क्या कहा?

आयोग ने बताया कि कंट्रोल यूनिट, बैलट यूनिट और VVPAT में अलग-अलग माइक्रोकंट्रोलर होते हैं, जो एक ही बार प्रोग्राम किए जा सकते हैं। आयोग ने बताया कि उसके पास 1,400 और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के पास 3,400 सिंबल लोडिंग मशीनें हैं। आयोग ने कहा, "सभी मशीनें 45 दिन के लिए स्टोर की जाती हैं। 46वें दिन अगर याचिका दाखिल की जाती है तो हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को पत्र लिखा जाता है। तब तक मशीनें जमा रहती हैं।"

सुनवाई

पिछली सुनवाई में क्या-क्या हुआ था?

इस मामले पर पहले सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की पीठ ने 2 दिन तक सुनवाई की थी। तब निजता के अधिकार, EVM की प्रक्रिया और छेड़छाड़ जैसे कई मुद्दों पर बहस हुई थी। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल के दौरान EVM में पाई गई अनियमितता का जिक्र किया था, जिस पर कोर्ट ने कहा था कि चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता बनी रहनी चाहिए।

मांग

याचिकाकर्ता ने क्या मांगें की थीं?

फिलहाल हर निर्वाचन क्षेत्र की केवल 5 EVM मशीनों का ही VVPAT से मिलान होता है। याचिकाकर्ताओं ने 5 की बजाय सभी मशीनों का मिलान करने की मांग की है। इसके अलावा सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील निजाम पाशा ने कहा था कि मतदाता को VVPAT की पर्ची दी जानी चाहिए और ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि मतदाता इसे खुद बैलट बॉक्स में डाले। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को लेकर चिंता जताई थी।

चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने कहा था- EVM से छेड़छाड़ संभव नहीं

चुनाव आयोग के अधिकारी ने कोर्ट को बताया था कि 100 प्रतिशत मशीन मॉक पोल से गुजरती हैं, लेकिन प्रत्याशी 5 प्रतिशत की ही खुद से जांच की जाती है। चुनाव आयोग ने कहा था, "याचिकाएं सिर्फ आशंका हैं, और कुछ नहीं। VVPAT सिर्फ एक प्रिटिंग मशीन है और चुनाव चिन्ह मशीन में अपलोड किए जाते हैं। हर एक मशीन में बटन नंबर अलग होता है। EVM अलग मशीनें हैं। इनमें छेड़छाड़ नहीं हो सकती।"