
सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे पर लगी अंतरिम रोक को बढ़ाया
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर लगी अंतरिम रोक को आगे बढ़ा दिया है।
हाई कोर्ट ने सर्वे के लिए एक न्यायिक आयोग नियुक्त किया था, जिस पर कोर्ट ने 16 जनवरी को अंतरिम रोक लगाई थी। न्यायाधीश संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने आज इस रोक को आगे बढ़ा दिया।
अब सुप्रीम कोर्ट अगस्त में मामले पर सुनवाई करेगा, तब तक सर्वे नहीं हो सकेगा।
मामला
क्या है मामला?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिसंबर में हिंदू पक्ष के आवेदन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि से सटी शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वे की अनुमति दी थी और इसके लिए एक न्यायिक आयोग नियुक्त किया था।
इसी आदेश के खिलाफ मस्जिद को चलाने वाली समिति और सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
इसके अलावा उन्होंने मामले से संबंधित सभी याचिकाओं को अपने पास ट्रांसफर करने के हाई कोर्ट के फैसले को भी चुनौती दी है।
कारण
क्यों हो रही मस्जिद के सर्वे की मांग?
हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर की भूमि पर बनी हुई है और मंदिर को तोड़कर औरंगजेब ने मस्जिद बनवाई थी।
उनके अनुसार, मस्जिद के एक हिंदू मंदिर पर बने होने के सबूत मिले हैं, जिनमें कमल के आकार का स्तंभ और भगवान कृष्ण से जुड़े शेषनाग की छवि शामिल हैं।
उन्होंने इसी कारण मस्जिद का सर्वे कराने की मांग की है। उनके अनुसार, शाही मस्जिद समेत पूरी विवादित भूमि श्रीकृष्ण विराजमान की है।
विवाद
क्या है कृष्ण जन्मभूमि विवाद?
कृष्ण जन्मभूमि विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक से जुड़ा है।
12 अक्टूबर, 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया।
समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर-मस्जिद दोनों बनने की बात हुई। इसके तहत श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है, जबकि 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह के पास है।
अब हिंदू पक्ष ने मस्जिद की 2.5 एकड़ जमीन पर भी दावा किया है।
समझौता
1968 में क्यों और क्या समझौता हुआ था?
कोर्ट के रिकॉर्ड के अनुसार, 1968 से पहले परिसर का ज्यादा विस्तार नहीं था और 13.77 एकड़ भूमि पर कई धर्मों के लोग बसे थे।
समझौते के तहत जमीन पर बसे मुस्लिमों को जगह छोड़ने को कहा गया और मस्जिद और मंदिर को एक साथ संचालित करने के लिए सीमाएं खींची गईं।
यह भी सुनिश्चित किया कि मस्जिद में मंदिर की ओर कोई खिड़की, दरवाजा या खुला नाला नहीं होगा। मंदिर और मस्जिद के बीच एक दीवार भी बनाई गई।