
हिंडनबर्ग मामला: अडाणी समूह को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने दी क्लीन चिट
क्या है खबर?
हिंडनबर्ग मामले में गौतम अडाणी को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई विशेषज्ञ समिति को अडाणी समूह के खिलाफ जांच में किसी तरह की गड़बड़ी के सबूत नहीं मिले हैं।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अडाणी समूह द्वारा शेयरों की कीमत में हेरफेर के कोई सबूत नहीं मिले हैं।
जांच समिति ने कहा कि मामले में किसी तरह के कानून का उल्लंघन भी नहीं पाया गया।
निवेश
गैरकानूनी निवेश के सबूत नहीं- समिति
समिति ने कहा कि कंपनी में गैरकानूनी निवेश के कोई सबूत नहीं मिले हैं और प्रथमदृष्टया मामले में किसी कानून का उल्लंघन नहीं हुआ है।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि अडाणी समूह ने स्टॉक एक्सचेंज को सभी जरूरी जानकारियां दी थीं।
हालांकि, समिति ने यह भी कहा है कि उनकी जांच रिपोर्ट के तमाम निष्कर्ष अंतिम नहीं हैं क्योंकि इस मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की जांच जारी है और उसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।
शेयर
समूह की कंपनियों के शेयर में आया उछाल
अडाणी समूह को क्लीन चिट मिलने के बाद समूह की कंपनियों के शेयर में तेजी देखने को मिली है। शेयर बाजार में लिस्टेड 10 कंपनियों में से सिर्फ एक को छोड़कर 9 में तेजी देखने को मिल रही है।
अडाणी इंटरप्राइजेस 3.84 फीसदी की तेजी के साथ 1963.80 रुपये पर कारोबार कर रही है। अडाणी पावर में 4.80 फीसदी की तेजी देखने को मिली। अडाणी ट्रांसमिशन, अडाणी विल्मर और अंबुजा सीमेंट के शेयरों में भी तेजी देखने को मिली है।
SEBI
SEBI को मिला जांच के लिए अतिरिक्त समय
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने अडाणी ग्रुप और हिंडनबर्ग विवाद के मामले की जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए SEBI को 14 अगस्त, 2023 तक का समय दिया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने SEBI को 2 महीने का समय दिया था, जिसकी समय सीमा 2 मई को खत्म हो गई थी।
SEBI ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की पेचीदगी को देखते हुए 6 महीने का अतिरिक्त समय देने की मांग की थी।
मामला
क्या है हिंडनबर्ग रिसर्च का मामला?
24 जनवरी को अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें समूह पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर की कीमत बढ़ा-चढ़ाकर बताने जैसे कई आरोप लगाए गए थे।
रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह को भारी नुकसान हुआ था। इस मामलें में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं।
2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति बनाई थी, जिसका नेतृत्व पूर्व न्यायाधीश अभय मनोहर सप्रे कर रहे हैं।