
सुप्रीम कोर्ट ने NUJS कुलपति के खिलाफ शर्तों के साथ खारिज किया यौन उत्पीड़न का मामला
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के राष्ट्रीय विधि विज्ञान विश्वविद्यालय (NUJS) के कुलपति निर्मल कांति चक्रवर्ती के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामले को सशर्त खारिज कर दिया है। कोर्ट ने इस घिनौने कृत्य को हमेशा के लिए चक्रवर्ती के बायोडाटा में शामिल करने का आदेश भी दिया है। कोर्ट स्पष्ट किया कि गलत काम की ऐसी सजा मिलनी चाहिए जो पूरी जिंदगी तकलीफ दे। कोर्ट ने शिकायत में लंबा समय लगाने कारण मामला खारिज किया है।
टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में क्या की टिप्पणी?
जस्टिस पंकज मिथल और प्रसन्ना बी वराल की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, "इस तरह की हरकत को माफ किया जा सकता है, लेकिन गलत करने वाले को वो सजा मिलनी चाहिए जो उसे पूरी जिंदगी तकलीफ दे।" पीठ ने पाया कि पीड़िता ने अप्रैल में कथित उत्पीड़न के कई महीने बाद 26 दिसंबर, 2023 को शिकायत दर्ज कराई थी। स्थानीय शिकायत समिति ने उसे समय सीमा समाप्त होने के कारण बताते हुए खारिज कर दिया था।
प्रकरण
क्या है यौन उत्पीड़न का मामला?
कुलपति चक्रवर्ती के खिलाफ एक संकाय सदस्य ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पीड़िता ने कहा था जुलाई 2019 में कुलपति बने चक्रवर्ती ने 8 सितंबर, 2019 को उसे कार्यालय बुलाया और रात के खाने पर चलने का दबाव डालते हुए उसके हाथ को अनुचित तरीके से छुआ। अक्टूबर 2019 में उन्होंने कथित तौर पर यौन संबंधों की मांग की और उनके प्रस्तावों को अस्वीकार करने पर उसके करियर को खतरे में डालने की धमकी दी थी।
परिणाम
रोकी दी गई पीड़िता की पदोन्नति
पीड़िता के प्रस्ताव ठुकराने को लेकर 2 अप्रैल, 2022 तक उसकी पदोन्नति भी रोक दी गई, लेकिन बाद में उन्हें पदोन्नति दे दी गई। इस बीच अप्रैल 2023 में कुलपति ने उसे एक यात्रा पर चलने को कहा, लेकिन इस भी पीड़िता ने इनकार कर दिया। इस पर भ्रष्टाचार के आरोप में 29 अगस्त, 2023 को पीड़िता को वित्तीय, नियामक और शासन अध्ययन केंद्र के निदेशक पद से हटा दिया गया। इसके बाद दिसंबर में पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई।
फैसला
पीड़िता को पद से हटाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता को उसके पद से हटाए जाने के मामले में भी फैसला सुनाते हुए कहा कि पद से हटाना यौन उत्पीड़न का मामला नहीं था। यह फैसला एक स्वतंत्र संस्था, नेशनल फाउंडेशन ऑफ कॉर्पोरेट गवर्नेंस की रिपोर्ट पर आधारित था। फैसले में यह भी निर्देश दिया गया कि यह प्रकरण चक्रवर्ती के बायोडाटा में दर्ज किया जाए और इस आदेश का पालन चक्रवर्ती द्वारा व्यक्तिगत रूप से भी सख्ती से सुनिश्चित किया जाए।