उज्बेकिस्तान के आत्मघाती हमलावर के खुलासे के बाद हाई अलर्ट पर आई सुरक्षा एजेंसियां
क्या है खबर?
रूस की संघीय सुरक्षा एजेंसी (FSB) द्वारा पकड़े गए मध्य एशियाई देश के रहने वाले इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी ने पूछताछ में भारत को लेकर चौंकाने वाला खुलासा है।
इस आतंकी ने पैगंबर मोहम्मद पर अपमानजनक टिप्पणी करने को लेकर शीर्ष भारतीय नेतृत्व के एक सदस्य पर आत्मघाती हमला करने के लिए विशेष प्रशिक्षण लिया था।
इस खुलासे के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर है और सरकार ने FSB को कई सवालों की सूची भेजी है।
खुलासा
आत्मघाती हमलावर ने किए चौंकाने वाले खुलासे- FSB
FSB ने कहा है कि उसके द्वारा पकड़े गए इस्लामिक स्टेट के आत्मघाती हमलावर मशरबकोन आजमोव ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किए हैं।
उसने बताया कि इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा जैसे आतंकी संगठन भारत के भीतर और बाहर मुस्लिमों को कट्टरपंथी बनाने में जुटे हैं और उनका लक्ष्य ईश निंदा के नाम पर देश में हमलों को अंजाम देना है।
इसी कड़ी में उसे शीर्ष भारतीय नेतृत्व के एक सदस्य पर हमले के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया था।
खतरा
किर्गिस नागरिक को भी दिया गया है आत्मघाती हमले का प्रशिक्षण
FSB ने बताया कि प्रतिबंधित इस्लामिक स्टेट के एक सरगना ने इस साल अप्रैल से जून के बीच तुर्की में प्रवास के दौरान विदेशी नागरिक को आत्मघाती हमलावर के तौर पर समूह में भर्ती किया था।
जांच से यह भी सामने आया है कि संगठन ने किर्गिस्तान के एक और नागरिक को हिरासत में लिए गए उज्बेक नागरिक के साथ प्रशिक्षण दिया गया था।
यह ट्रेनिंग भारत को निशाना बनाने के लिए तुर्की में इस्लामवादियों की ओर से दी गई।
योजना
आत्मघाती हमलावरों ने बनाई थी रूस के रास्ते भारत पहुंचने की योजना
FSB के अनुसार, प्रशिक्षण लेने के बाद किर्गिस नागरिक रूस के रास्ते अपने देश लौट गया था। इसी तरह दोनों हमलावरों ने रूस के रास्ते ही भारत पहुंचने की योजना बनाई थी, लेकिन इसी बीच उज्बेक नागरिक पकड़ा गया।
FSB के इस खुलासे के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं और वह आतंकी आजमोव से हुई पूछताछ की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। उन्होंने अपने रूसी समकक्षों को विशेष प्रश्नों की सूची भी भेजी है।
जानकारी
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने किया संपर्क
इसी तरह मामले को गंभीरता से लेते हुए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने जांच में शामिल होने की इजाजत लेने के लिए उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान में अपने समकक्षों से संपर्क किया है। यदि अनुमति मिलती है तो गिरफ्तार आंतकी से आगे की पूछताछ की जाएगी।
उद्देश्य
पैगंबर के अपमान के नाम पर हमला करना है उद्देश्य
पिछले दो महीने से एसोसिएट इंटेलिजेंस एजेंसियां भारतीय समकक्षों को लगातार अलर्ट करती रही हैं।
इसमें पैगंबर के अपमान को लेकर भारत को निशाना बनाने के लिए पैन-इस्लामिक आतंकवादी समूहों के भीतर बेचैनी की बात कही गई है।
मुस्लिम ब्रदरहूड जैसे संगठनों की जड़ें तुर्की, कुवैत और कतर में काफी मजबूत हैं। ये संगठन भारत को सबक सिखाने का हवाला देकर लगातार मुस्लिम युवाओं को कट्टर बनाने का काम कर रहे हैं।
जानकारी
भारतीय युवाओं के जरिए देश को निशाना बनाने की साजिश
एसोसिएट इंटेलिजेंस एजेंसियों से मिली खूफिया जानकारी के अनुसार, इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रांत के पाकिस्तानी कैडरों का इस्तेमाल रावलपिंडी की ओर से भारतीय रंगरूटों के जरिए नई दिल्ली को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। यह खासी चिंता का विषय है।
सफलता
तमिलनाडु में पकड़ा गया एक अहम आरोपी
जॉर्डन की खुफिया एजेंसी ने अपने भारतीय समकक्षों को इस्लामिक स्टेट द्वारा तमिलनाडु के अंबुर टाउन निवासी इंजीनियरिंग छात्र मीर अनस अली के ऑनलाइन कट्टरपंथ के प्रति सचेत किया।
पैगंबर के अपमान पर भारत को सजा देने के लिए इस्लामिक स्टेट के ऑनलाइन कट्टरपंथियों ने अनस अली का ब्रेनवॉश किया था।
इस पर 31 जुलाई को तमिलनाडु पुलिस ने उसे गिरफ्तार करते हुए कट्टरपंथियों की साजिश को नाकाम कर दिया था।
योजना
टेलीग्राम और इंस्टाग्राम के जरिए हैंडलरों के संपर्क में था अनस
तमिलनाडु पुलिस ने बताया कि अनस के अति-रूढ़िवादी वहाबी प्रतिबंधित संगठन के साथ संबंध थे और वह टेलीग्राम और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग करके अपने ऑनलाइन हैंडलरों के साथ संवाद कर रहा था।
पुलिस ने बताया था कि उसे इस्लामिक स्टेट के हैंडलर्स ने गैर-मुसलमानों को निशाना बनाने और समुदायों के बीच डर पैदा करने और उन्हें धार्मिक आधार पर एकजुट करने के लिए एक प्रमुख व्यक्ति को मारने का काम सौंपा गया था।
सहयोग
अमेरिका सहित ये देश कर रहे हैं भारत की मदद
बता दें कि कट्टरपंथी विचारधारा के खिलाफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियां ही नहीं, बल्कि अमेरिका, जॉर्डन, रूस, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) और सउदी अरब जैसे कई मित्र देश भी काम कर रहे हैं।
ये सभी देश इस मामले में भारत की मदद भी कर रहे हैं और वहां की सुरक्षा एजेंसियां आवश्यक सुचनाएं भी साझा कर रही है।
इन देशों का मानना है कि यदि कट्टरपंथ का तेजी से विस्तार होता है तो यह देशों की सुरक्षा के लिए बाधक होगा।