
RSS के शताब्दी समारोह में बोले मोहन भागवत- देश की सुरक्षा में सतर्क-समर्थ रहना होगा
क्या है खबर?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना को आज 100 साल हो चुके हैं। संगठन आज अपना शताब्दी वर्ष समारोह मना रहा है। इस दौरान संघ ने नागपुर में एक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हमें राष्ट्र की सुरक्षा के लिए समर्थ और समर्थ बनना होगा। इससे पहले उन्होंने RSS के संस्थापक हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी और शस्त्र पूजन किया।
बयान
भागवत ने कहा- निर्भरता मजबूरी में न बदले
भागवत ने संबोधन में अमेरिका के टैरिफ का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "अमेरिका ने जो नई टैरिफ नीति अपनाई उसकी मार सभी पर पड़ रही है। इसलिए दुनिया में आपसी संबंध बनाने पड़ते हैं। आप अकेले नहीं जी सकते, लेकिन ये निर्भरता मजबूरी में न बदल जाए। इसलिए हमको इसको मजबूरी न बनाते हुए आत्मनिर्भर होना पड़ेगा।" उन्होंने पड़ोसी देशों में हुए आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि क्रांतियां कब निरंकुशता में बदल जाती हैं, पता नहीं चलता।
गांधी
भागवत ने महात्मा गांधी को किया याद
भागवत ने कहा, "यह साल श्रीगुरुतेग बहादुर के बलिदान का 350वां वर्ष है। हिंद की चादर बनकर जिन्होंने अन्याय से समाज की मुक्ति के लिए अपना बलिदान दिया। ऐसे विभूति का स्मरण इस साल होगा। आज गांधी जी की भी जयंती है। उनका योगदान अविस्मरणीय है। आजादी के बाद भारत का तंत्र कैसा चले उसके बारे में विचार देने वालों में उनका नाम था।" उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी जयंती पर याद किया।lal
मुख्य बातें
भागवत के संबोधन की बड़ी बातें
-पहलगाम में धर्म पूछकर हत्या की गई। इससे पूरे देश में क्रोध और दुख था। सेना और सरकार ने पूरी तैयारी से जवाब दिया। -कभी-कभी प्रशासन जनता को ध्यान में रखकर नीति नहीं बनाता। इससे असंतोष होता है, लेकिन हिंसा सही नहीं है। बदलाव लोकतांत्रिक तरीके से आता है। -मौजूदा अर्थ प्रणाली में दोष हैं। इससे अमीरी गरीबी बढ़ती है और शोषण का नया तंत्र खड़ा होता है। -दुनिया भारत को उम्मीद की नजर से देख रही है।
कोविंद का संबोधन
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा- संघ में जातिवाद नहीं चलता
पूर्व राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, "आज का विजयादशमी उत्सव RSS की शताब्दी का प्रतीक है। मेरे जीवन निर्माण में हेडगेवार और आंबेडकर का अहम योगदान रहा है। संघ में किसी प्रकार का कोई जाति भेदभाव नहीं है। इस तरह का मेरा पहला अनुभव भी संघ में ही था, जहां पूरा सम्मान और कोई भेदभाव नहीं मिला।" उन्होंने संबोधन की शुरुआत महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए की।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
RSS की स्थापना 27 सितंबर, 1925 को विजयादशमी के दिन नागपुर में केशवराम बलिराम हेडगेवार ने की थी। अगले साल इसका नाम तय हुआ और शाखा प्रणाली शुरू हुई। 1931 में खाकी नेकर वाली ड्रेस तय हुई। महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर प्रतिबंध लगा, 1949 में हटा। अब तक RSS में 6 सरसंघचालक रहे हैं। मौजूदा सरसंघचालक भागवत ने 21 मार्च, 2009 को ये पद संभाला था।