अनिल शर्मा ने बताया निधन से ठीक पहले कैसे थे धर्मेंद्र, बोले- वो देख रहे थे
क्या है खबर?
धर्मेंद्र एक बेहद जिंदादिल इंसान थे और अपने जीवन के अंतिम दिनों तक उन्हें जिंदा रहने की उम्मीद थी। उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान और आंखों में चमक इस बात की गवाही दे रही थी कि वो अब भी हर पल को महसूस कर रहे थे। हाथ हल्के से हिलते और आसपास बैठे लोग उनकी ताकत और जज्बे को महसूस करते। निर्देशक अनिल शर्मा ने बताया कि धर्मेंद्र की हिम्मत देखकर डाॅक्टर तक आश्वस्त थे कि वो जंग जीतकर लौटेंगे।
उम्मीद
"धर्मेंद्र आंखें खोल रहे थे, हाथ हिला रहे थे"
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान अनिल ने कहा कि अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद जब वो धर्मेंद्र से मिले तो उनके हालात पहले से बेहतर दिख रहे थे। धर्मेंद्र आंखें खोल रहे थे और हाथ हल्का सा हिला रहे थे। डॉक्टरों ने भी कहा था कि धरम जी बहुत मजबूत आदमी हैं। उनकी तबीयत में सुधार की उम्मीद थी। अस्पताल में और घर आने के बाद भी हर कोई सोच रहा था कि धर्मेंद्र ठीक हो जाएंगे।
दुखद
उम्र ने दिया धरम जी को धोखा- अनिल
अनिल ने ये भी स्वीकार किया कि बुढ़ापा अपनी गति से काम करता है और उम्र के आगे इंसानी कोशिशें भी असहाय हो जाती हैं और इसी वजह से धर्मेंद्र लाख कोशिशों के बावजूद जिंदगी से जंग हार गए और उम्र के आगे नतमस्तक हो गए। अनिल ने कहा कि धर्मेंद्र का चले जाना सिर्फ एक अभिनेता का जाना नहीं है, बल्कि ये एक युग का अंत है। उनके जाने से वो खालीपन रह गया है, जिसे भरना मुश्किल है।
सम्मान
"धर्मेंद्र का विदाई समारोह राजकीय सम्मान से भी बड़ा"
धर्मेंद्र के निधन के बाद उनके परिवार ने मुंबई में उनकी याद में 'सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ' सभा का आयोजन किया। अनिल बोले, "ये केवल अंत्येष्टि नहीं, बल्कि उनके पूरे जीवन और बॉलीवुड में योगदान का जश्न है। ये सम्मान किसी राज्य‑स्तरीय अवॉर्ड से भी बड़ा है। इस अवसर दुनियाभर के प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।" अनिल बोले कि धर्मेंद्र भले ही बड़े स्टार थे, लेकिन दिल और व्यवहार में वो एक आम इंसान की तरह सरल और मिलनसार थे।
रिश्ता
अनिल के लिए धर्मेंद्र सिर्फ स्टार नहीं, परिवार थे
देओल परिवार से निर्देशक अनिल शर्मा का नाता बेहद पुराना है। साल 1987 में धर्मेंद्र अभिनीत 'हुकूमत' से शुरू हुआ ये रिश्ता 'एलान-ए-जंग', 'फरिश्ते' जैसी कई फिल्मों तक चला और फिर उनके बेटों सनी-बॉबी तक पहुंचा। अनिल ने धर्मेंद और उनके दोनों बेटों सनी देओल व बॉबी देओल को लेकर 'अपने' जैसी यादगार फिल्म बनाई। अनिल के लिए धर्मेंद्र सादगी और परिवार की तरह अपना एक ऐसा चेहरा थे, जिन्हें वो हमेशा बड़ा सम्मान और गर्व से याद करते हैं।