
भारत के पास रूस के अलावा तेल खरीदने के क्या हैं विकल्प और कितनी हैं चुनौतियां?
क्या है खबर?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर टैरिफ का ऐलान करते हुए भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को भी वजह बताया है। इसके बाद कुछ रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदना कम कर दिया है। यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की वजह से भारत को रूस से सस्ता तेल मिल रहा था। आइए जानते हैं कि भारत के पास क्या-क्या विकल्प हैं।
तेल
रूस से कितना कच्चा तेल खरीदता है भारत?
रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूसी तेल का आयात भारी मात्रा में बढ़ा है। इसकी सबसे बड़ी वजह पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के चलते रूसी तेल का सस्ता होना है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 में कुल तेल आयात का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा रूस से आया। वित्त वर्ष 2018 में यह केवल 1.3 प्रतिशत था। जून, 2025 में रूस से भारत का कच्चा तेल आयात 11 महीने के उच्चतम स्तर 2.08 मिलियन बैरल प्रतिदिन पर पहुंच गया है।
विकल्प
भारत के पास तेल खरीदने के क्या-क्या हैं विकल्प?
BBC से बात करते हुए निकोर एसोसिएट्स की अर्थशास्त्री मिताली निकोर ने कहा, "सबसे बड़ा विकल्प हमेशा मध्य-पूर्व होता है। वहां से तेल महंगा है, लेकिन उपलब्ध है। इसके अलावा अमेरिका से भी तेल लिया जा सकता है। अमेरिका में नई रिफाइनरियां खुल रही हैं। अमेरिका की कोशिश है कि अपनी तेल कंपनियों को आगे बढ़ाए, क्योंकि आने वाले 40-50 साल में ही तेल बेचने का समय बचा है। अफ्रीका में भी कुछ देश हैं, जहां तेल उपलब्ध है।"
चुनौतियां
भारत के सामने क्या हैं चुनौतियां?
निकोर के मुताबिक, विकल्प तो हैं, लेकिन वे न सस्ते हैं और आपूर्ति की भी समस्या है। EY इंडिया के ट्रेड पॉलिसी लीडर अग्नेश्वर सेन ने BBC से कहा, "भारत रूस से तेल आयात कम करता है, तो उसे मध्य-पूर्व के साझेदारों की तरफ देखना होगा। अफ्रीका और अमेरिका जैसे नए स्रोत भी तलाशने पड़ेंगे, लेकिन हर विकल्प के साथ ऊंची कीमत और आपूर्ति की अनिश्चितता जैसी चुनौतियां होंगी। भारत को तेल के स्रोत में सावधानी से विविधता लानी होगी।"
असर
रूस से तेल खरीदी बंद करने का क्या हो सकता है असर?
सेन के मुताबिक, "अगर भारत रूस से तेल खरीदना पूरी तरह बंद करता है, तो पेट्रोल और डीजल के खुदरा दाम लगभग 5-6 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं।" वहीं, निकोर ने कहा, "यह पूरी तरह नुकसान वाली स्थिति है। या तो हमें पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पड़ेंगे या अमेरिकी टैरिफ का खतरा उठाना होगा या सेवा क्षेत्र पर नए टैक्स या टैरिफ लग सकते हैं। हर तरफ नुकसान ही नुकसान है।"
सरकार
रूस से तेल खरीदी पर सरकार का क्या रुख है?
हाल ही में विदेश मंत्रालय ने कहा था कि तेल आयात के मामले में हम बाजार और वैश्विक परिस्थितियों के हिसाब से फैसला लेते हैं। वहीं, भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था, "हम किसी भी तरह के दबाव में नहीं हैं। अगर रूस से तेल आयात प्रभावित होता है, तो भारत तेल आपूर्ति को लेकर किसी मुश्किल में नहीं फंसेगा, क्योंकि हमारी तेल आपूर्ति किसी एक देश पर निर्भर नहीं है।"
अमेरिका
टैरिफ के बाद भारत ने अमेरिका से तेल खरीदी दोगुनी की
अमेरिका ने अप्रैल में टैरिफ का ऐलान किया था। इसके बाद से भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल की खरीदी दोगुनी कर दी है। अप्रैल-जून तिमाही में इसमें सालाना आधार पर 114 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। समाचार एजेंसी ANI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि 2024 में अप्रैल से जून के बीच भारत ने अमेरिका से करीब 15,000 करोड़ रुपये का तेल खरीदा था। इस साल ये आंकड़ा दोगुना बढ़कर 32,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।