मुंबई आतंकी हमले में शहीद हुए वीरों की कहानी, अपनी जान पर खेल बचाईं हजारों जिंदगियां
क्या है खबर?
26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकी हमले के आज 17 साल हो गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम नेताओं और शख्सियतों ने इस हमले में मारे गए नागरिकों और शहीदों को श्रद्धांजलि दी है। इस हमले में 166 लोग मारे गए थे। इस दौरान सुरक्षाबलों ने शौर्य का परिचय देते हुए सभी आतंकियों को मार गिराया। आइए आज इस हमले में शहीद हुए जवानों के बारे में जानते हैं।
हेमंत करकरे
ATS प्रमुख हेमंत करकरे
हमलों में मुंबई आतंकवाद रोधी यूनिट (ATS) प्रमुख हेमंत करकरे भी शहीद हो गए। हमले की सूचना मिलते ही वे ACP अशोक काम्टे और इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ पुलिस वाहन में सवार होकर कामा अस्पताल जा रहे थे। यहां 2 आतंकियों के होने की सूचना थी। करकरे जैसे ही अस्पताल वाली गली के पास पहुंचे, आतंकवादी अजमल कसाब और अबू इस्माइल ने उन पर हमला कर दिया। करकरे की पुलिस वाहन के अंदर ही मौत हो गई।
अशोक काम्टे
ACP अशोक काम्टे और इंस्पेक्टर विजय सालस्कर
ACP अशोक काम्टे और इंस्पेक्टर विजय सालस्कर भी करकरे के साथ ही थे। कामा अस्पताल के बाहर ही आतंकी इस्माइल ने अशोक पर अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं। एक गोली उनके सिर में लगी। इसके बावजूद गंभीर रूप से घायल अशोक ने एक आतंकी को ढेर कर दिया। अपने दोनों साथियों के मारे जाने के बाद एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर अकेले आतंकियों से लोहा लेने लगे। हालांकि, वे भी शहीद हो गए। आतंकियों ने उनकी बंदूक भी छीन ली।
तुकाराम ओंबले
बिना हथियार कसाब से भिड़ गए थे तुकाराम ओंबले
जब-जब मुंबई हमलों का जिक्र होगा, ASI तुकाराम का नाम जरूर आएगा। गिरगांव चौपाटी पर तुकाराम और उनकी टीम ने कसाब और इस्माइल की स्कोडा कार का टायर पंक्चर कर दिया था। इसके बाद आतंकवादी गोलीबारी करने लगे, तो तुकाराम केवल एक लाठी लेकर आतंकियों से भिड़ गए। तुकाराम ने कसाब की राइफल पकड़ ली और गोलियां लगने के बावजूद उसे छोड़ा नहीं। वे शहीद हो गए, लेकिन उनकी हिम्मत ने कसाब को जिंदा पकड़ने में अहम भूमिका निभाई।
संदीप उन्नीकृष्णन
गोली लगने पर टीम से बोले मेजर संदीप- मैं संभाल लूंगा
राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन हमले के दौरान 'ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो' का नेतृत्व कर रहे थे। वे ताज होटल में लगातार एक के बाद एक मंजिलों पर आतंकियों का सफाया करते हुए आगे बढ़ रहे थे। जब उनके एक साथी कमांडो को गोली लगी, तो संदीप आतंकवादियों का ध्यान भटकाने के लिए आगे बढ़े। इस मुठभेड़ के दौरान उन्हें गोली लग गई। अपनी टीम के लिए उनके आखिरी शब्दे थे, "ऊपर मत आना, मैं संभाल लूंगा।"
अन्य शहीद
हमले में ये जवान भी हुए थे शहीद
नरीमन हाउस पर NSG जवान गजेंद्र सिंह गोलीबारी के बीच रस्सी से ऊपर चढ़े और साथियों को घुसने में मदद की। इस दौरान वे शहीद हो गए। इसके अलावा इंस्पेक्टर शशांक शिंदे, PSI कपिल कश्यप, PSI बापूजी सोनवणे, PSI बालासाहेब भोसले, कांस्टेबल अंबादास पवार, कांस्टेबल बालासाहेब बनकर, कांस्टेबल अरविंद नाथमवार, कांस्टेबल गोविंद सांखे, कांस्टेबल प्रकाश मोरे, कांस्टेबल योगेश पाटिल और कांस्टेबल विजय मोरे समेत कई अन्य जवानों ने भी हमले में अपने शहादत दी।