महाराष्ट्र: बेड के इंतजार में हुई महिला की मौत तो शौचालय में मिला सास का शव
क्या है खबर?
देश में एक तरफ तो कोरोना वायरस लोगों की सांसों पर ब्रेक लगा रहा है, वहीं अब अस्पतालों की बदइंतजामी 'कोढ़ में खाज' का काम कर रही है।
अस्पतालों की बदइंतजामी का दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है महाराष्ट्र के जलगांव में, जहां ICU वार्ड में बेड नहीं मिलने से एक युवक की कोरोना संक्रमित मां ने दम तोड़ दिया।
उसके बाद आठ दिन पहले अस्पताल से गायब हुई दादी का शव भी शौचालय में पड़ा मिला।
घटना
ICU वार्ड में बेड नहीं मिलने से हुई मां की मौत
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार जलगांव निवासी हर्षल नेहते की मां तिला (60) और दादी मालती (82) में गत 23 मई को कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
उनकी दादी को सिविल अस्पताल में भर्ती कर लिया गया, लेकिन मां को रेलवे अस्पताल में भेज दिया गया।
बीती 31 मई को उनकी मां की तबीयत बिगड़ने पर सिविल अस्पताल ले जाया गया, लेकिन ICU वार्ड में बेड नहीं मिलने के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया।
जानकारी
रेलवे अस्पताल में था बदहाली का आलम
हर्षल ने बताया कि रेलवे अस्पताल में भी बदहाली का आलम था। उनकी मां ने शौचालय जाने के दौरान फिसलकर गिर गई थीं, लेकिन उन्हें उठाने कोई नहीं आया। दो घंटे बाद एक अन्य मरीज की मदद से वह बेड पर पहुंची थीं।
संकट
बुधवार को अस्पताल के शौचालय में मिला दादी का शव
हर्षल ने बताया कि वो अपनी मां की मौत का गम अभी भुला भी नहीं पाये थे कि बुधवार को सिविल अस्पताल के शौचायल में आठ दिन पहले गायब हुई उनकी दादी का शव सड़ी-गली हालत में मिला।
उन्होंने बताया कि 2 जून को दादी के अस्पताल से गायब होने की सूचना मिली थी।
उन्होंने पुलिस में इसकी रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी, लेकिन बुधवार को शौचायल में उनका शव मिलने पर अस्पताल की लापरवाही उजागर हो गई।
जानकारी
अस्पताल प्रशासन से कही थी दादी को शौचालय में तलाशने की बात
हर्षल ने बताया कि उन्होंने अस्पताल प्रशासन को उनकी दादी को शौचालय में तलाशने के लिए भी कहा था। उन्होंने बताया था कि उसकी मां भी शौचालय जाते समय गिर गई थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
कार्रवाई
अस्पताल प्रभारी सहित पांच अधिकारियों को किया निलंबित
बुधवार को मालती का शव शौचालय में मिलने के बाद मामला गरमा गया।
इसको देखते हुए चिकित्सा विभाग के सचिव संजय मुखर्जी ने अस्पताल प्रभारी बीएस खैरे सहित पांच अधिकारियों को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी।
सचिव मुखर्जी ने कहा है कि जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अन्य सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसी तहर जिला कलक्टर ने भी अस्पताल का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
बदइंतजामी
अस्पताल की बदइंतजामी की भेंट चढ़ा परिवार
हर्षल परिवार की हालत देख कर पूरी तरह से टूट चुके हैं। उन्होंने कहा, "मैं सोचता हूं तो कांप जाता हूं। वो कैसे चल कर गई होंगी टॉयलेट तक? वो ठीक से चल नहीं पाती थी।"
हर्षल पुणे में मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव का काम करते हैं। उनकी पत्नी 9 महीने की गर्भवती है। उनके पिता भी कोरोना संक्रमित हैं और नासिक में उनका इलाज चल रहा है।
कोई भी उनकी मां और दादी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाया।
सवाल
परिवार ने किया सवाल कि मौत के लिए ज़िम्मेदार कौन?
मां और दादी की मौत से पूरा परिवार बेहद गुस्से में हैं। उनका कहना है कि नियमों के चलते उन्हें अपने परिवार के सदस्यों को सरकारी अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।
ऐसे सवाल उठता है कि उनकी मौत के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है?
जलगांव कलक्टर अविनाश डांगे का कहना है कि ये काफी गंभीर मामला है। अस्पताल के शौचालय दिन में 2-3 बार साफ किए जाते थे। महिला को शौचालय में नहीं देखा जाना बड़ी लापरवाही है।
दिल्ली
दिल्ली में अस्पतालों की मनमानी के चलते जा चुकी है मरीजों की जान
अस्पतालों की बदइंतजामी के चलते मरीजों की मौत होने का यह पहला मामला नहीं है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी निजी अस्पतालों की मनमानी के चलते कई कोरोना संक्रमितों की जान जा चुकी हैं। किसी को अस्पताल में बेड नहीं मिला तो किसी की जांच ही नहीं की जा रही है।
इसको लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निजी अस्पतालों को जमकर फटकार लगाते हुए कोरोना मरीजों की जांच और उपचार करने के आदेश दिए थे।