#NewsBytesExclusive: सिर्फ 5 रुपये में लोगों को खाना खिलाने वाले अनूप खन्ना से खास बातचीत
क्या है खबर?
ऐसे समय में जब कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता और लोगों पर निराशा हावी हो गई है, तब अनूप खन्ना जैसे लोग मानवता में विश्वास बनाए रखने का कारण बनते हैं।
अनूप नोएडा में 'दादी की रसोई' चलाते हैं और जरूरतमंदों को केवल पांच रुपये में खाना खिलाते हैं और उनका यह कीमत बढ़ाने का कोई इरादा भी नहीं है।
न्यूजबाइट्स के साथ खास बातचीत में उन्होंने अपने पूरे सफर के बारे में बात की।
पता
कहां लगती है 'दादी की रसोई'
अगर आप दोपहर बाद नोएडा सेक्टर 29 के गंगा शॉपिंग कॉम्पलेक्स में जाएंगे तो आपको एक लंबी लाइन दिखेगी।
दरअसल, यह लाइन अनूप से खाना लेने वालों की होती है। अनूप खाने में दाल, चावल और आचार देते हैं।
जो लोग महंगे रेस्तरां में खाना नहीं खा सकते उनके लिए 'दादी की रसोई' शानदार खाने का ठिकाना है।
यहां महज पांच रुपये में खाना मिलता है। इतनी कम कीमत में खाना देने के कारण ही अनूप चर्चा में आए थे।
विचार
कहां से आया आइडिया?
जब हम उनसे पूछा कि यह काम करने का विचार कहां से आया तो उन्होंने कहा, "मैं पिछले 20-25 सालों में समाजसेवा कर रहा हूं। मैंने उत्तराखंड और बिहार में बाढ़ के बाद काम किया था।"
अनूप के लिए यह दूसरी पारी है। कुछ सालों तक काम करने के बाद उन्होंने समाज सेवा करना शुरू किया।
उन्होंने कहा कि वे जिंदगी में कुछ करना चाहते थे। उनकी मां ने उन्हें यह काम शुरू करने की सलाह दी थी।
कीमत
मुफ्त खाना देने के विरोध में हैं अनूप
पांच रुपये में खाना देने के बात सुनकर कोई भी यह पूछ सकता है कि वे मुफ्त में खाना क्यों नहीं देते?
वे ऐसा भी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने खाने के लिए पैसा लेना का फैसला किया।
उन्होंने कहा, "मैं हमेशा से मुफ्त में चीजें देने और आरक्षण के खिलाफ रहा हूं। मेरा मानना है कि मूलभूत सुविधाएं हमेशा सस्ती होनी चाहिए।"
उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति पैसे देकर खाना लेता है तो उसका आत्म-सम्मान बना रहता है।
मदद
दुकानदारों से मिलती है मदद
लोगों को कम दाम में खाना खिलाने में अनूप को स्थानीय दुकानदारों और दूसरे लोगों की भी मदद मिलती है।
उन्होंने बताया कि उन्हें चीजों के कम पैसे देने पड़ते हैं। उन्होंने कहा, "मैं 300 रुपये किलो घी लाता हूं। सब्जीवाले भी मुझे उचित दाम में सब्जियां देते हैं। इस तरह मेरे लिए यह काम करना आसान होता है।"
उन्होंने बताया कि वे अपने खाने की गुणवत्ता से कभा समझौता नहीं करते हैं।
ग्राहक
संपन्न लोग भी आते हैं खाना खाने
अपने ग्राहकों के बारे में बात करते हुए अनूप ने बताया कि कई बार 'बड़ी कारों' वाले लोग भी खाना खाने आते हैं।
लगभग तीन साल तक दादी की रसोई चलाने के बाद अब अनूप ने मेनू में कुछ बदलाव किए हैं।
उन्होंने अब खाने में तंदूरी रोटी, मिठाई और फल शामिल किए हैं। हालांकि, यह सभी के लिए नहीं है।
संपन्न ग्राहकों को अब भी पहले वाले मेनू के हिसाब से दाल, चावल और आचार दिया जाता है।
नियम
नियम तोड़ने वालों को नहीं देते खाना
अनूप ने बताया कि वे अपने इस काम के माध्यम से लोगों को नागरिक भावना (Civic Sense) सीखाना चाहते हैं।
अगर किसी ने अपनी कार को पार्किंग में खड़ा नहीं किया तो वे खाना नहीं देते हैं।
बाइक सवार को खाना लेने के लिए उसके पास हेलमेट होना जरूरी है।
वहीं अगर किसी के पास खुले पैसे नहीं है और कोई खाने के बाद प्लेट डस्टबिन में नहीं डालता तो वे अगली बार उसे खाना नहीं देंगे।
स्टॉल
दो जगह स्टॉल लगाते हैं अनूप
अनूप का दिन सुबह 7 बजे शुरू होता है। वे पार्क में अपनी पत्नी के साथ जॉगिंग करने के बाद सब्जी लेने जाते हैं।
सुबह 10 बजे तक वे सेक्टर 17 पहुंचकर अपना पहला स्टॉल लगाते हैं। यहां से लगभग डेढ़-दो घंटे में फ्री होने के बाद वे गंगा शॉपिंग कॉम्पलेक्स जाकर दूसरा स्टॉल लगाते हैं। यहां वे 2 बजे तक या खाना खत्म होने तक रुकते हैं।
उनका यह सिलसिला रोजाना चलता रहता है।
उपलब्धि
राष्ट्रपति भवन से भी मिल चुका है निमंत्रण
अनूप के काम को पहचान उस समय मिली जब उन्हें राष्ट्रपति भवन में बुलाया गया। उन्होंने कहा कि देशभर से समाज सेवकों को बुलाया गया था।
इन समाज सेवकों ने लोगों की भलाई के लिए लाए जा सकने वाले मॉडल पर चर्चा की थी।
अनूप ने बताया कि यह सब राष्ट्रपति के मुख्य सचिव संजय कोठारी की मदद से संभव हुआ था।
बयान
कभी नहीं बढ़ाएंगे खाने के दाम
अनूप ने कहा कि जब लोग उन्हें पहचानते हैं तो उन्हें प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि सरकार को उनके काम से प्रेरणा लेनी चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे कभी खाने के दाम बढ़ाएंगे? तो उन्होंने कहा, कभी नहीं।
सवाल
'एक आदमी ही सबकुछ कैसे कर सकता है?'
अनूप ने कहा, "एक ही आदमी सब कुछ क्यों करे? लोग कहते हैं कि मोदी और राहुल ने कुछ नहीं किया। मैं पूछता है कि क्या उन लोगों भी कुछ नहीं करना चाहिए? यह कोई मुश्किल काम नहीं है।"
अनूप के विचार उनके काम में झलकते हैं। जब कोई उनसे उनके सहयोग की बात कहता है तो वे उससे खाने परोसने में मदद करने को कहते हैं। वे कहते हैं, "रुपये का कर्म करना बहुत आसान है, कर्म का नहीं।"
दवाई स्टोर
दवाई की दुकान भी चलाते हैं अनूप
कम कीमत में खाना खिलाने के साथ-साथ अनूप प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि योजना केंद्र भी चलाते हैं।
उन्होंने बताया कि नोएडा में ऐसे कम ही स्टोर है, जिनमें से एक वे चलाते हैं। लोग यहां से कम कीमत में जरूरी दवाएं खरीद सकते हैं। वे दूसरे लोगों द्वारा दान किए कपड़े भी वितरित करते हैं। अपने स्टोर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि रोटी, कपड़ा और दवाई, तीन एक जगह ही मिलते हैं।
संदेश
लोगों के लिए दिया यह संदेश
अनूप ने कहा कि मशहूर होने के लिए कभी कुछ न करें। उन्होंने कहा, "मैं कोई महान आदमी नहीं लेकिन एक कोऑर्डिनेटर हूं जो अपना काम कर रहा है। मुझे अपना काम करने में मजा आता है और आपको भी आना चाहिए।"
उन्होंने युवाओं को अपने सपने पूरा करने, भविष्य सुरक्षित करने के बाद समाज सेवा के क्षेत्र में उतरने की बात कही है।
उन्होंने कहा कि 'पैसा जरूरी नहीं है' कहने से पहले आपके पास अच्छा पैसा होना चाहिए।