#NewsBytesExplainer: आचार समिति ने की महुआ मोइत्रा की सांसदी रद्द करने की सिफारिश, आगे क्या होगा?
क्या है खबर?
लोकसभा में सवाल पूछने के बदले रिश्वत लेने के आरोपों में घिरीं तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।
आचार समिति ने अपनी रिपोर्ट में महुआ की सांसदी खत्म करने की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया है और अब इसे लोकसभा स्पीकर को भेजा जाएगा।
आइए समझते हैं कि इस मामले में आगे क्या हो सकता है।
आरोप
सबसे पहले जानिए महुआ पर क्या आरोप हैं?
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि संसद में सवाल पूछने के लिए महुआ ने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली है।
दुबे ने इस संबंध में स्पीकर ओम बिरला को एक पत्र लिखा था। इसमें कहा गया कि महुआ ने संसद में 61 सवाल पूछे, जिनमें से लगभग 50 हीरानंदानी और उनकी कंपनी के हितों से जुड़े थे।
दुबे ने ये आरोप सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्रई के एक पत्र के आधार पर लगाए थे।
जांच
महुआ के खिलाफ जांच में अब तक क्या हुआ?
दुबे की शिकायत पर लोकसभा की आचार समिति इस मामले की जांच कर रही है।
समिति ने दुबे और देहाद्रई से पूछताछ की थी। उसके बाद महुआ को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन इस दौरान महुआ ने समिति पर निजी और अशोभनीय सवाल पूछने के आरोप लगाए और गुस्से में समिति की बैठक से उठकर बाहर आ गई थी।
हालांकि, समिति सदस्यों ने इन आरोपों से इनकार किया था।
समिति
आचार समिति ने अपनी जांच में क्या कहा?
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने महुआ की सांसदी रद्द करने की सिफारिश की है।
इसके अलावा महुआ और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के बीच पैसों के लेन-देन की कानूनी, संस्थागत और समयबद्ध जांच करने की सिफारिश भी की गई है।
महुआ पर संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन और निजता भंग करने के भी आरोप हैं। समिति ने इस रिपोर्ट को बहुमत के आधार पर स्वीकार कर लिया है। अब इसे स्पीकर के पास भेजा जाएगा।
आगे
अब आगे क्या होगा?
आचार समिति के नियमों के अनुसार, समिति के सिफारिशें एक रिपोर्ट के रूप में स्पीकर को भेजी जाएंगी।
लोकसभा प्रक्रिया तथा कार्य-संचालन नियम 316 E के अनुसार, रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद स्पीकर या समिति का कोई सदस्य रिपोर्ट पर विचार का प्रस्ताव रख सकता है, जिसके बाद अध्यक्ष इसे सदन में पेश कर सकते हैं।
फिर इस प्रस्ताव पर बहस और मतदान होगा और इस आधार पर कार्यवाही का फैसला लिया जाएगा।
विकल्प
महुआ के पास क्या विकल्प हैं?
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, महुआ खुद के निष्कासन के फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं। हालांकि, ये तभी हो सकता है, जब समिति की रिपोर्ट को लोकसभा पटल पर पेश किया जाए, उस पर बहस हो और फिर महुआ को संसद से निष्कासित किया जाए।
अगर महुआ की सांसदी रद्द की जाती है तो आचार समिति की सिफारिश पर इस तरह की कार्यवाही का ये पहला मामला होगा।
प्ल,
न्यूजबाइट्स प्लस
वर्तमान में लोकसभा की आचार समिति के अध्यक्ष भाजपा के विनोद कुमार सोनकर हैं।
इसके अन्य सदस्यों में भाजपा के विष्णु दत्त शर्मा, सुमेधानंद सरस्वती, अपराजिता सारंगी, राजदीप रॉय, सुनीता दुग्गल और सुभाष भामरे शामिल हैं।
इसके अलावा कांग्रेस के वी वैथिलिंगम, एन उत्तम कुमार रेड्डी, बालाशोवरी वल्लभनेनी और परनीत कौर, शिवसेना के हेमंत गोडसे, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के गिरिधारी यादव, CPI(M) के पीआर नटराजन और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के दानिश अली भी इसके सदस्य हैं।