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महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री को लेकर क्या है विवाद, किसने-क्या कहा?
महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है

महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री को लेकर क्या है विवाद, किसने-क्या कहा?

लेखन आबिद खान
Aug 14, 2025
02:54 pm

क्या है खबर?

महाराष्ट्र में स्वतंत्रता दिवस पर मांस की दुकानें बंद करने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। दरअसल, महाराष्ट्र के कई नगर निकायों ने स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी के दिन मांस और चिकन की दुकानों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। विपक्ष ने इसे लोगों की खान-पान की आदतों पर नियंत्रण करने का आदेश बताया है। वहीं, सत्ता पक्ष फैसले का बचाव कर रहा है। आइए जानते हैं क्या है विवाद।

शुरुआत

कैसे हुई विवाद की शुरुआत?

विवाद की शुरुआत तब हुई, जब महाराष्ट्र के कई नगर निकायों ने 15 अगस्त को मांस की दुकानों और बूचड़खानों को बंद रखने का आदेश जारी किया। इनमें से कुछ आदेश हिंदू और जैन त्योहारों का हवाला देते हुए अन्य तिथियों पर भी लागू होते हैं। कल्याण डोंबिवली नगर निगम (KDMC) के अलावा नागपुर, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर और मालेगांव नगर निगमों ने भी स्वतंत्रता दिवस पर इसी तरह के आदेश जारी किए हैं।

आदेश

आदेश में क्या कहा गया है?

KDMC के अतिरिक्त आयुक्त योगेश गोडसे ने कहा कि यह आदेश 1989 के राज्य सरकार के निर्देश के तहत जारी किया गया है, जो हर साल कई निगमों में लागू किया जाता है। उनका कहना है कि यह पाबंदी केवल मांस की बिक्री पर है, खाने पर नहीं और लोग चाहें तो मांस खा सकते हैं। नगर आयुक्त अभिनव गोयल ने कहा कि पिछले 15 वर्षों से यह आदेश जारी किया जा रहा है।

सरकार

सरकार का क्या कहना है?

विवाद बढ़ने पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह कोई नया फैसला नहीं है, बल्कि 3 दशक से भी ज्यादा पुराना नियम है। उन्होंने विवाद को गैरजरूरी बताया। फडणवीस ने संवाददाताओं से कहा, "यह फैसला 1988 से लागू है, हमने कोई नया फैसला नहीं लिया है। जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब भी यह फैसला लागू था और अब भी लागू है। हमने कोई नया फैसला नहीं लिया है।

उपमुख्यमंत्री

उपमुख्यमंत्री भी विरोध में उतरे

छत्रपति संभाजीनगर में मांस की बिक्री पर प्रतिबंध के आदेश पर उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आपत्ति जताई है। अजित ने कहा, "ऐसा प्रतिबंध लगाना गलत है। बड़े शहरों में विभिन्न जातियों और धर्मों के लोग रहते हैं। अगर यह भावनात्मक मुद्दा है तो लोग इसे एक दिन के लिए स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन अगर आप महाराष्ट्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ऐसे आदेश लगाते हैं तो यह मुश्किल है।"

आदित्य ठाकरे

आदित्य ठाकरे बोले- नगर पालिका नहीं बताएगी कि क्या खाएं

शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता आदित्य ठाकरे ने कहा, "नगर आयुक्त को निलंबित कर दिया जाना चाहिए। यह तय करना उनका काम नहीं है कि कौन क्या खाए। स्वतंत्रता दिवस पर हम क्या खाते हैं, यह हमारा अधिकार है, हमारी आजादी है। वे हमें यह नहीं बता सकते कि हमें क्या खाना चाहिए। आप हमारे घरों में क्यों घुस रहे हैं? नगर निगम को सड़कों पर गड्ढों जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।"

MNS

MNS और कांग्रेस ने क्या कहा?

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने विवाद को गैरजरूरी बताते हुए कहा, "वेज-नॉनवेज को लेकर विवाद गलत है। सरकार होती कौन है हमें बताने के लिए कि हमें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।" कांग्रेस ने कहा, "महायुति सरकार गंभीर मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए शहरों में कबूतरों को दाना खिलाने और स्वतंत्रता दिवस पर मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने जैसे बेतुके मुद्दों पर विवाद पैदा कर रही है।"