ओडिशा ट्रेन हादसा: रूट पर नहीं मौजूद था 'कवच', गलत ट्रैक पर थी कोरोमंडल एक्सप्रेस- रिपोर्ट
क्या है खबर?
ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम को हुए भीषण ट्रेन हादसे के पीछे के कुछ कारण सामने आए हैं।
भारतीय रेलवे के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया है कि हादसे वाले रूट पर स्वदेशी स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम 'कवच' मौजूद नहीं था, जिसके कारण ट्रेनों की आपस में टक्कर होने की आशंका है।
वहीं कुछ अन्य रिपोर्ट्स में दावा किया है कि है कि हादसे से कुछ मिनट पहले कोरोमंडल एक्सप्रेस ने गलत ट्रैक लिया था।
सिस्टम
क्या होता है कवच सिस्टम?
कवच ट्रेन को टक्कर से बचाने के लिए स्वदेशी सुरक्षा प्रणाली है। यह ट्रेन की स्पीड में सुधार के साथ दुर्घटनाओं पर नियंत्रण करता है।
जब ट्रेन के लोकोपायलट किसी दुर्घटना के दौरान ट्रेन की स्पीड को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं तो उस समय भी यह कवच सिस्टम बिना इंसानी मदद के ट्रेन में ऑटोमैटिक तरीके से ब्रेक लगाने का काम करता है।
यह तकनीक शून्य दुर्घटनाओं के लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकती है।
कारण
मुख्य ट्रैक की जगह लूप ट्रैक पर चली गई थी कोरोमंडल एक्सप्रेस- रिपोर्ट
हिंदुस्तान टाइम्स को रेलवे के खड़गपुर डिवीजन के सिग्नलिंग कंट्रोल रूम की रेलवे ट्रैक से जुड़ा एक वीडियो मिला है।
हावड़ा से चेन्नई जा रही कोरोमंडल एक्सप्रेस ने शुक्रवार शाम करीब 6.55 बजे बहानगर बाजार स्टेशन को पार करने के बाद मुख्य ट्रैक की जगह लूप ट्रैक लिया था, जहां पहले से ही मालगाड़ी खड़ी थी।
इसके बाद करीब 127 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही कोरोमंडल एक्सप्रेस मालगाड़ी से टकराकर पटरी से उतर गई।
हादसा
सिग्नल में त्रुटि के कारण हुआ हादसा
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस को मुख्य ट्रैक से गुजरने के लिए एक सिग्नल दिया गया था। इसे बंद कर दिया गया था, लेकिन तब तक ट्रेन लूप ट्रैक में जा चुकी थी और मालगाड़ी से टकरा गई।
इसी दौरान दूसरी ट्रैक पर यशवंतपुर सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन आ गई और कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बों से टकराने के बाद उसके भी दो डिब्बे पटरी से उतरकर हादसे का शिकार हो गए।
हादसा
हादसे में अब तक 261 लोगों की मौत- रेलवे
रेलवे के आकंड़ों के मुताबिक, इस भीषण ट्रेन हादसे में अब तक 261 लोगों की मौत हो गई है, जबकि घायलों का इलाज जारी है। घटनास्थल पर राहत और बचाव कार्य पूरा हो चुका है और ट्रैक पर यातायात दोबारा चालू करने का कार्य किया जा रहा है।
गौरतलब है कि राहत और बचाव कार्य के लिए भारतीय सेना के जवानों और वायुसेना के हेलीकॉप्टरों की मदद भी ली जा रही है।