भारत को तेजस विमान के 113 इंजन देगा अमेरिका, HAL और जनरल इलेक्ट्रिक में हुआ समझौता
क्या है खबर?
अमेरिका से भारत को तेजस लड़ाकू विमान के लिए 113 इंजन मिलेंगे। इसके लिए भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक (GE) के बीच करीब 8,870 करोड़ रुपये का समझौता हुआ है। सोशल मीडिया पर HAL ने समझौते की जानकारी देते हुए लिखा, 'HAL ने 7 नवंबर को GE के साथ 113 F404-GE-IN20 इंजन की आपूर्ति और 97 LCA MK1A कार्यक्रम के निष्पादन के लिए सहायता पैकेज के लिए एक समझौता किया है।'
डिलीवरी
2027 से शुरू होगी डिलीवरी
HAL ने बताया कि इन इंजनों की डिलीवरी 2027 से 2032 के बीच होगी। इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने 25 सितंबर को HAL के साथ 62,370 करोड़ रुपये का समझौता किया था। इसके तहत HAL भारतीय वायुसेना के लिए 97 LCA तेजस मार्क-1A लड़ाकू विमान बनाएगा। तब सरकार ने कहा था कि विमानों की आपूर्ति 2027-28 में शुरू होगी और इनमें 64 प्रतिशत से ज्यादा सामग्री स्वदेशी होगी। इसी के बाद HAL ने इंजनों के लिए ये समझौता किया है।
HAL
हाल ही में HAL ने रूसी कंपनी के साथ भी किया था समझौता
पिछले हफ्ते HAL ने भारत में SJ-100 सिविल कॉम्यूटर विमान के उत्पादन के लिए रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन के साथ समझौता किया था। समझौते के तहत, HAL को SJ-100 के भारत में निर्माण के अधिकार मिले हैं। दशकों में ये पहली बार है, जब किसी यात्री विमान का पूरी तरह से उत्पादन भारत में किया जाएगा। इन विमानों का इस्तेमाल सरकार की उड़ान योजना के लिए कम दूरी का मार्गों पर किया जाएगा।
विमान
अब तक वायुसेना को नहीं मिला एक भी तेजस मार्क-1A विमान
सरकार ने 2021 में HAL के साथ 83 तेजस मार्क-1A विमान खरीदने के लिए 48,000 करोड़ का समझौता किया था। ये विमान 2028 तक वायुसेना को मिलने हैं, लेकिन अमेरिकी इंजन की डिलीवरी में देरी के चलते अभी तक एक भी विमान डिलीवर नहीं हो पाया है। मई में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने रक्षा परियोजनाओं में देरी पर चिंता जताई थी। उन्होंने खासतौर पर तेजस मार्क-1A विमान की डिलीवरी में देरी का मुद्दा उठाया था।
खासियत
क्या है तेजस मार्क-1A विमानों की खासियत?
13 मीटर से ज्यादा लंबा ये विमान एक बार में 3,000 किलोमीटर तक लगातार उड़ान भर सकता है। इसके विंग्स (पंख) में 9 जगहों पर अलग-अलग तरह के हथियार लगाए जा सकते हैं। पिछले साल मार्च में इन विमानों ने पहली परीक्षण उड़ान सफलतापूर्क पूरी की थी। तेजस मार्क-1A के 65 प्रतिशत से ज्यादा उपकरण भारत में ही बने हैं। 2015 से वायुसेना इन विमानों के पुराने संस्करण का इस्तेमाल कर रही है।