चाबहार बंदरगाह पर छूट की मियाद बढ़ाने के लिए अमेरिका से चर्चा कर रहा भारत
क्या है खबर?
अमेरिका ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को प्रतिबंधों में मिली छूट खत्म करने का ऐलान किया था। ये छूट 28 अक्टूबर को खत्म हो गई है। भारत छूट की अवधि को बढ़ाने के लिए अमेरिका से चर्चा कर रहा है। हालांकि, अभी तक इस पर अमेरिका की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। बता दें कि ईरान का चाबहार बंदरगाह भारत के लिए अफगानिस्तान, मध्य एशिया और पूर्वी रूस तक पहुंचने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट
रिपोर्ट में दावा- भारत सक्रिय चर्चा में जुटा हुआ
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत अमेरिका से पाबंदियों से मिली रियायत को आगे जारी रखने के लिए सक्रिय तौर पर चर्चा में जुटा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने अभी तक इसपर कोई फैसला नहीं किया है, लेकिन यह मुद्दा डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के विचाराधीन है। 19 सितंबर को भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि भारत अमेरिका के इस फैसले के प्रभावों की जांच कर रहा है।
IPGL
IPGL के सरकारी निदेशकों ने दिए इस्तीफे
कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि प्रतिबंध लागू होने से पहले इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) के बोर्ड के सरकारी निदेशकों ने इस्तीफा दे दिया था। इकोनॉमिक टाइम्स ने इसके पीछे कारण बताया गया था कि अमेरिकी प्रतिबंधों के चलते IPGL या इससे जुड़ा कोई व्यक्ति भी प्रतिबंधों के दायरे में आ जाता। इसलिए सरकारी निदेशकों के पास इस्तीफे के अलावा कोई विकल्प नहीं था। एक सूत्र के मुताबिक, IPGL की वेबसाइट भी बंद कर दी गई है।
पत्र
अमेरिका ने भारत को लिखा था पत्र
इस संबंध में अमेरिकी विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) ने भारत को पत्र भी लिखा था। इसमें इस बात का जिक्र किया गया था कि IPGL चाबहार बंदरगाह पर सभी गतिविधियों को बंद करने का इरादा रखता है, जिसमें शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल या अन्य संबंधित सुविधाएं भी शामिल हैं। बता दें कि IPGL ईरानी सरकार के बंदरगाह और समुद्री संगठन (PMO) के साथ बंदरगाह पर शाहिद बेहेश्ती टर्मिनल के संचालन के लिए 10 साल का समझौता किया है।
प्रतिबंध
अमेरिका ने क्यों लगाया है प्रतिबंध?
दरअसल, 2018 में अमेरिका ने चाबहार को अफगानिस्तान की मदद और विकास के लिए छूट दी थी। हालांकि, पिछले महीने इस छूट को खत्म करने का ऐलान किया था। अमेरिका का कहना है कि अब अफगानिस्तान में तालिबानी शासन है और बंदरगाह के निर्बाध संचालन से ईरान फायदा उठा रहा है। अमेरिका ने कहा था कि अब से जो लोग बंदरगाह को चलाने, पैसे देने या उससे जुड़े किसी काम में शामिल होंगे, वे अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में होंगे।
अहमियत
भारत के लिए कितना अहम है चाबहार बंदरगाह?
चाबहार बंदरगाह को भारत और ईरान मिलकर विकसित कर रहे हैं। भारत ने 2024 में चाबहार को 10 साल के लिए लीज पर लिया है। इसके तहत भारत यहां करीब 1,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगा और 2,200 करोड़ रुपये का कर्ज देगा। चाबहार के जरिए भारत अफगानिस्तान, मध्य एशिया, रूस और यूरोप से सीधे व्यापार करता है। पहले इन देशों तक पहुंच के लिए भारत को पाकिस्तान से गुजरना पड़ता था।