मालदीव में भारतीय पर्यटकों की संख्या गिरी, भारत पहले स्थान से 5वें स्थान पर खिसका
मालदीव में पिछले 3 हफ्तों में पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आई है। देश के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पर्यटन के मामले में पहले नंबर पर रहने वाला भारत खिसकर 5वें स्थान पर आ गया है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मालदीव के मंत्रियों की अभद्र टिप्पणियों के बाद से भारतीयों द्वारा बड़ी संख्या में मालदीव का बहिष्कार जारी है। हालांकि, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन से इसकी भरपाई की उम्मीद कर रहे हैं।
भारतीय पर्यटकों की कितनी हिस्सेदारी?
मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के अनुसार, पिछले साल 2,09,198 पर्यटकों के साथ भारत पहले नंबर पर था और कुल पर्यटकों में उसकी हिस्सेदारी 11 प्रतिशत थी। हालांकि, इस साल 28 जनवरी तक केवल 13,989 भारतीय मालदीव गए हैं और उनकी हिस्सेदारी 8 प्रतिशत रह गई है। रूस 18,561 पर्यटकों के साथ पहले स्थान पर है, वहीं इटली दूसरे और चीन तीसरे स्थान पर है। 16,529 पर्यटकों के साथ चीन की हिस्सेदारी 9.5 प्रतिशत है।
चीन ने 21 जनवरी के आसपास भारत को पीछे छोड़ा
मालदीव के पर्यटन मंत्रालय के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले एक महीने में मालदीव में पर्यटकों के आगमन की संख्या के मामले में चीन ने 21 जनवरी के आसपास भारत को पीछे कर दिया था। इससे पहले चीन भारत से पीछे चल रहा था। हालांकि, 13 जनवरी तक भारत 8.1 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर खिसक गया था। चीन छठवें स्थान से चौथे और 28 जनवरी को तीसरे स्थान पर आ गया।
पिछले एक महीने में बढ़ी चीनी पर्यटकों की संख्या
स्पष्ट है कि भारत के साथ तनाव के केवल एक महीने, 31 दिसंबर से 29 जनवरी, में मालदीव पर्यटन बाजार में भारतीयों की हिस्सेदारी तेजी से गिरी है। भारत के साथ तनाव के बाद मालदीव के राष्ट्रपति ने चीन से अनुरोध किया था कि वह अधिक संख्या में अपने पर्यटकों को मालदीव भेजे। बता दें कि 2020 में चीन मालदीव के पर्यटक बाजार में पहले नंबर पर था और भारतीय पर्यटकों की संख्या 2020 से बढ़ना शुरू हुई।
भारत और मालदीव के बीच क्यों तनाव?
दरअसल, जनवरी की शुरुआत में प्रधानमंत्री मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा कर कुछ तस्वीरें साझा की थीं और लोगों से वहां जाने का आग्रह किया था। इस पर मालदीव के कुछ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कीं और भारत के खिलाफ भी अपमानजनक बातें कहीं। इस टिप्पणी पर भारत के लोग भड़क गए और मालदीव का बहिष्कार करना शुरू कर दिया। हालांकि, इस विवाद के बाद मालदीव सरकार ने अपने मंत्रियों को उनके पदों से हटा दिया था।