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मणिपुर: रास्ते खुले, ड्रग्स की जब्ती और हथियारों का समर्पण; धीरे-धीरे कैसे लौट रही है शांति?
मणिपुर में धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं

मणिपुर: रास्ते खुले, ड्रग्स की जब्ती और हथियारों का समर्पण; धीरे-धीरे कैसे लौट रही है शांति?

लेखन आबिद खान
Sep 14, 2025
05:15 pm

क्या है खबर?

बीते 2 सालों से भी ज्यादा समय से हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में हालात धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिंसा के बाद राज्य के अपने पहले दौरे में दोनों पक्षों से शांति की तरफ लौटने की अपील की है। इसके बाद शांति प्रयासों में और तेजी आने की उम्मीद जताई जा रही है। आइए जानते हैं मणिपुर में कैसे धीरे-धीरे शांति लौट रही है।

हथियार

इस साल 1,200 से ज्यादा हथियार बरामद

मणिपुर में हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों ने भारी संख्या में हथियार लूट लिए थे। राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद राज्यपाल ने लोगों से लूटे गए हथियारों को वापस करने के लिए अल्टीमेटम जारी किया। आंकड़ों के अनुसार, 2025 में अब तक अलग-अलग प्रकार के 1,200 हथियार बरामद किए गए हैं। 2023 से अब तक 3,000 हथियार, 10,000 राउंड गोला-बारूद और करीब 500 इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) बरामद किए जा चुके हैं।

बयान

अधिकारी बोले- लोग आगे आकर हथियार जमा कर रहे

एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज18 से कहा, "ये आंकड़े अपने आप में सब कुछ बयान करते हैं। कहा जा सकता है कि लूटे गए हथियारों में से 60 प्रतिशत से ज्यादा बरामद हो चुके हैं या इससे भी ज्यादा। लोग खुद आगे आकर आत्मसमर्पण कर रहे हैं। घाटी और पहाड़ियों दोनों जगहों पर हथियारों की बरामदगी शांति का बड़ा कारण रही है।" यही वजह है कि सरकार ने हथियार जमा करने की समय सीमा कई बार बढ़ाई थी।

ड्रग्स

भारी मात्रा में ड्रग्स बरामद, अफीम के खेती नष्ट की गई

मणिपुर में हिंसा के पीछे की बड़ी वजह ड्रग्स की तस्करी भी है। इससे निपटने के लिए सरकार ने विशेष हेल्पलाइन शुरू की है, जो काफी प्रभावी साबित हो रही है। जनवरी से अब तक चुराचांदपुर से 12.93 किलोग्राम हेरोइन, 15.38 किलोग्राम ब्राउन शुगर, 7.10 किलोग्राम अफीम और मेथैम्फेटामाइन की 4 लाख से भी ज्यादा गोलियां बरामद की गई हैं। अधिकारियों ने 52.7 एकड़ की अवैध अफीम की खेती को भी नष्ट कर दिया है।

रास्ते

राज्य के कई अहम रास्ते खुले

हालात सामान्य होने के साथ ही राज्य के कई रास्ते भी खुल गए हैं। सबसे अहम राष्ट्रीय राजमार्ग-2 का खुलना है, जो कुकी बहुल इलाके को मैतेई बहुल इलाकों से जोड़ता है। हिंसा के बाद इस राजमार्ग के कई हिस्सों पर दोनों समुदायों ने चौकियां और अस्थायी बंकर बनाकर रास्ता बंद कर दिया था। अब केवल सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान यहां मौजूद हैं और आधिकारिक चौकियों ही बची हैं।

समझौता

सरकार ने कुकी समूहों के साथ किया अहम समझौता

केंद्र सरकार ने कुकी समूहों के साथ एक नया समझौता किया है, जिसके तहत वे अपने शिविरों को मैतेई बहुल इलाकों से दूर ले जाएंगे। अगर यह समझौता पूरी तरह लागू होता है, तो शांति प्रयासों की दिशा में बेहद अहम होगा। यह समझौता प्रधानमंत्री मोदी की मणिपुर यात्रा से ठीक पहले हुआ है। हालांकि, कुकी जो काउंसिल (KZC) ने कहा कि उनकी सहमति को बफर जोन में स्वतंत्र आवाजाही का समर्थन न समझा जाए।