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#NewsBytesExplainer: क्या है जम्मू-कश्मीर का सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम? AAP विधायक की गिरफ्तारी पर क्यों हुआ बवाल?
डोडा से AAP के विधायक मेहराज मलिक की गिरफ्तारी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है

#NewsBytesExplainer: क्या है जम्मू-कश्मीर का सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम? AAP विधायक की गिरफ्तारी पर क्यों हुआ बवाल?

लेखन आबिद खान
Sep 14, 2025
03:58 pm

क्या है खबर?

जम्मू-कश्मीर में आम आदमी पार्टी (AAP) के इकलौते विधायक मेहराज मलिक की गिरफ्तारी से जुड़ा विवाद बढ़ता जा रहा है। उनके समर्थकों के हिंसक प्रदर्शनों के बाद डोडा और आसपास के जिलों में स्थिति तनावपूर्ण है। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़प के बाद 80 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया गया है। मलिक को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत हिरासत में लिया गया था। आइए PSAके बारे में जानते हैं।

अधिनियम

क्या है सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम? 

PSA के तहत किसी व्यक्ति को ऐसे किसी कार्य को करने से रोकने के लिए हिरासत में लिया जा सकता है, जिससे राज्य की सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। इसे 1978 में फारूक अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला ने लागू किया था। तब लकड़ी तस्करी को रोकने के लिए कानून बनाने की जरूरत बताई गई थी, क्योंकि तस्करी एक बड़ी समस्या थी और गिरफ्तार किए गए लोग जल्दी छूट जाते थे।

प्रावधान

बिना मुकदमा दायर किए 2 साल तक जेल में रखने का अधिकार

इस अधिनियम के जरिए राज्य प्रशासन को यह अधिकार मिलता है कि वो 18 साल से ज्यादा उम्र के किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा दायर किए 2 साल तक जेल में रख सकता है। इसके लिए किसी औपचारिक आरोप, वारंट या मुकदमे की भी जरूरत नहीं होती। किसी व्यक्ति पर PSA केवल खास आरोप या कानून उल्लंघन के लिए नहीं लगाया जा सकता। ये संभागीय आयुक्त या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा पारित प्रशासनिक आदेश से ही लागू होता है।

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विवाद

क्या हैं PSA के विवादित प्रावधान? 

यह पहले से ही हिरासत में रह रहे व्यक्ति, अदालत से जमानत मिलने के तुरंत बाद किसी व्यक्ति या अदालत द्वारा बरी किए गए व्यक्ति पर भी लगाया जा सकता है। हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना जरूरी नहीं है। हिरासत में लिया गया व्यक्ति जमानत के लिए आवेदन नहीं कर सकता और वकील नियुक्त नहीं कर सकता। आदेश जारी करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कोई जांच नहीं की जा सकती।

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हिरासत

हिरासत में लिए गए व्यक्ति के पास क्या विकल्प होते हैं?

PSA के आदेश को केवल हिरासत में लिये गए व्यक्ति के रिश्तेदारों द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के जरिए ही चुनौती दी जा सकती है। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पास इन याचिकाओं पर सुनवाई करने और PSA खत्म करने के लिये अंतिम आदेश पारित करने का अधिकार है। हालांकि, अगर कोर्ट याचिका खारिज कर देते हैं तो व्यक्ति के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचता है। ज्यादातर मामलों में हाई कोर्ट याचिका को खारिज कर देता है।

बाद की प्रक्रिया

हिरासत में लेने के बाद क्या होता है?

हिरासत में लेने के 5 दिन के भीतर व्यक्ति को लिखित रूप से इसकी वजह बताई जाती है। हालांकि, अगर ये वजह 'सार्वजनिक हित' के खिलाफ हो सकती हैं, तो इनका खुलासा जरूरी नहीं है। संभागीय आयुक्त को 4 हफ्ते के भीतर एक सलाहकार बोर्ड के समक्ष आदेश प्रस्तुत करना होता है। हिरासत में लिया गया व्यक्ति भी बोर्ड के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। बोर्ड 8 हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपता है।

व्यक्ति

उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई लोगों पर लगा PSA

अलगाववादी नेता मसरत आलम भट पर PSA के तहत 37 बार मामला दर्ज किया गया था। वो 2010 से 2015 तक जेल में रहे। 2008 में अमरनाथ यात्रा भूमि विवाद को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद कई पत्थरबाज और प्रदर्शनकारी PSA के तहत हिरासत में लिए गए थे। अनुच्छेद 370 के निरस्त किए जाने के दौरान फारूक अब्दुल्ला, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को भी PSA के तहत हिरासत में लिया गया था।

AAP

AAP विधायक मलिक की गिरफ्तारी का मामला क्या है?

8 सितंबर को डोडा से विधायक मलिक को सार्वजनिक व्यवस्था भंग करने के आरोप में PSA के तहत गिरफ्तार किया गया था। उन पर सरकारी अधिकारी को गाली देने का आरोप है। इसके बाद उनके समर्थकों ने हिंसक प्रदर्शन किया, जिसके बाद डोडा में हालात तनावपूर्ण हो गए। AAP सांसद संजय सिंह भी जम्मू पहुंचे और प्रदर्शन किया। उनके अलावा घाटी के कई नेताओं ने भी मलिक की गिरफ्तारी का विरोध किया।

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