
दिल्ली में कितनी है आवारा कुत्तों की संख्या और इनके लिए कैसे बनेंगे आश्रय स्थल?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के नगर निकायों को दिए गए आवारा कुत्तों को पकड़कर आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने के आदेश ने बड़ी बहस छेड़ दी है। एक तरफ पशु प्रेमी जहां आदेश के अमानवीय बताकर उसकी कड़ी आलोचना कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एक तबका इसका स्वागत कर रहा है। इस बीच आइए जानते हैं दिल्ली में आवारा कुत्तों की संख्या कितनी है और इनके लिए आश्रय स्थल कैसे बनेंगे।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया है आदेश?
सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़ने, उनकी नसबंदी करने और 8 सप्ताह में उन्हें आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने, कुत्तों के काटने के मामलों की सूचना के लिए एक सप्ताह में हेल्पलाइन नंबर जारी करने और आश्रय स्थलों पर देखरेख के लिए पर्याप्त कर्मचारियों की तैनाती के साथ CCTV कैमरे लगाने को भी कहा है। कोर्ट ने कहा है कि बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सड़कों पर कुत्तों से सुरक्षित रहें और उन्हें रेबीज का खतरा न हो।
संख्या
दिल्ली में कितनी है आवारा कुत्तों की संख्या?
राष्ट्रीय राजधानी में साल 2009 में हुई पिछली कुत्ता जनगणना में दिल्ली में लगभग 5.6 लाख आवारा कुत्ते पाए गए थे, लेकिन उसके बाद पिछले 16 सालों में इनकी कोई गणना नहीं हुई। ऐसे में अनुमान है कि यह संख्या लगभग 10 लाख के करीब है। मार्स पेटकेयर द्वारा पालतू बेघरता की स्थिति पर किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, देश में आवारा कुत्तों की संख्या लगभग 5.25 करोड़ है, जबकि 80 लाख कुत्ते आश्रय गृहों में रह रहे हैं।
आश्रय
दिल्ली में कहां हैं आवारा कुत्तों के लिए आश्रय स्थल?
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में एक आश्रय स्थल में अधिकतम 500 कुत्ते रखने पर भी कुल आवारा कुत्तों की संख्या के हिसाब से 2,000 आश्रय गृहों की आवश्यकता होगी। वर्तमान में दिल्ली नगर निगम (MCD) केवल 20 पशु नियंत्रण केंद्र संचालित करता है। इनमें कुत्तों की नसबंदी और उनकी अल्पकालिक देखभाल होती है। अगर, इन केंद्रों को पूर्ण कुत्ता आश्रय गृहों में बदल दिया जाए, तब भी इनमें अधिकतम 5,000 कुत्तों को ही रखा जा सकता है।
परेशानी
आश्रय स्थलों के निर्माण में ये है प्रमुख चुनौतियां
सुप्रीम कोर्ट ने 8 सप्ताह में आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में भेजने का आदेश दिया है, लेकिन इतनी संख्या में आश्रय स्थलों के निर्माण में काफी धन और समय की आवश्यकता होगी और आवासीय इलाकों से दूर जगह की भी आवश्यकता होगी। MCD की स्थायी समिति के अध्यक्ष सत्य शर्मा ने PTI से कहा कि वे कोर्ट के आदेश पूरा करने का हरसंभव प्रयास करेंगे, लेकिन भूमि आवंटन में चुनौतियों के कारण आश्रय स्थल स्थापित करने में समय लगेगा।
चुनौती
MCD के पास कुत्तों को पकड़ने वाली कुशल टीमों का अभाव
MCD के पास वर्तमान में हर जोन में कुत्तों को पकड़ने के लिए लगभग 2-3 वैन हैं और पर्याप्त प्रशिक्षित कर्मचारी भी नहीं हैं। ऐसे में कुत्तों इतनी जल्दी पकड़ पाना आसान नहीं होगा। इसी तरह पशु प्रेमी भी ऐसे प्रयासों का विरोध करेंगे, जिससे आवासीय पड़ोस में संभावित रूप से तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो सकती है। हालांकि, कोर्ट ने कार्रवाई का विरोध करने वालों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की बात कही है, लेकिन इससे विरोध बंद नहीं होगा।
बजट
आश्रय स्थलों के संचालन के लिए बजट का प्रबंध
दूसरी चुनौती आश्रय स्थलों में रोजाना लाखों कुत्तों को खाना खिलाना है, जिस पर नगर निकायों को आसानी से सालाना सैकड़ों करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इन आश्रय स्थलों को पशु एम्बुलेंस, पशु चिकित्सकों और CCTV कैमरों जैसे अन्य संसाधनों के साथ-साथ अधिक धन की भी आवश्यकता होगी। इसके अलावा, आश्रय स्थलों के कर्मचारियों का वेतन भी देना होगा। MCD अधिकारियों ने आश्रय स्थल के निर्माण और धन पर चर्चा के लिए बैठक करने की बात कही है।
बयान
आश्रय स्थलों पर खर्च करने होंगे 15,000 करोड़ रुपये- मेनका गांधी
पशु अधिकार कार्यकर्ता और भाजपा नेता मेनका गांधी ने ANI से कहा, "वर्तमान में दिल्ली में आवारा कुत्तों के लिए एक भी सरकारी आश्रय स्थल नहीं है। आप लाखों कुत्तों को कहां रखेंगे। उनके लिए पर्याप्त संख्या में आश्रय स्थल बनाने के लिए आपको कम से कम 15,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। आपको आश्रय स्थलों के लिए 3000 जगह ढूंढनी होंगी, जहां कोई नहीं रहता है। आप इतनी सारी जगहें कैसे ढूंढेंगे? यह सब इतनी जल्दी संभव नहीं है।"
समस्या
दिल्ली में साल 2025 में कुत्तों के काटने से 26,000 मामले सामने आए
PTI के अनुसार, इस साल दिल्ली में अब तक कुत्तों के काटने के 26,000 मामले सामने आए हैं। 31 जुलाई तक राजधानी में रेबीज के 49 मामले सामने आए हैं और जनवरी से जून के बीच 65,000 से ज्यादा आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया गया है। इसी तरह 2019 और 2022 के बीच देश में 1.60 करोड़ कुत्ते के काटने की घटनाएं दर्ज हुई थी और रेबीज से सालाना 18,000 से 20,000 लोगों की मौत होती है।