इंडिगो की पहली उड़ान से अब तक का सफर, 19 साल में कैसे आसमान में छाई?
क्या है खबर?
देश की दिग्गज एयरलाइन इंडिगो पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं। दर्जनों हवाई अड्डों पर इंडिगो की हजारों उड़ानें रद्द हो गई हैं। इसके चलते लाखों यात्री परेशान हुए हैं, तो वहीं सरकार को भी अपने नियम वापस लेने पड़े हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। इंडिगो हर रोज 2,000 से ज्यादा उड़ानों का संचालन करती है और भारतीय एविएशन बाजार में इसकी 60 प्रतिशत से भी ज्यादा हिस्सेदारी है। आइए आज इंडिगो का सफर जानते हैं।
शुरुआत
कैसे शुरू हुआ इंडिगो का सफर?
इंडिगो की शुरुआत की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। 2004 में राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने कंपनी इंटरग्लोब एविएशन लिमिटेड की नींव रखी थी। दिल्ली के रहने वाले राहुल ने कनाडा से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उनके पिता एक एयरलाइन टिकट बुकिंग एजेंसी चलाते थे। वहीं, राकेश अमेरिका में यूनाइटेड एयरलाइंस से जुड़े थे। उन्होंने IIT कानपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग और व्हार्टन से MBA की पढ़ाई की थी। राकेश को एविएशन क्षेत्र में दशकों का अनुभव था।
ऑर्डर
2005 में 100 एयरबस विमानों का ऑर्डर देकर चौंकाया
2004 में राहुल और राकेश को इंडिगो के लिए लायसेंस मिला। अब अगला कदम एयरलाइन के लिए विमान खरीदने का था। 2005 पेरिस एयर शो में इंडिगो ने एक साथ 100 एयरबस A320 विमानों का ऑर्डर देकर सबको चौंका दिया। ये समझौता 5.43 लाख करोड़ रुपये का था। इतने बड़े ऑर्डर ने इंडस्ट्री के दिग्गजों की नींद उड़ा दी थी, क्योंकि उस वक्त ईंधन की बढ़ती और रुपये की गिरती कीमत के चलते एविएशन इंडस्ट्री चुनौतियों से जूझ रही थी।
पहली उड़ान
2006 में इंडिगो ने भरी पहली उड़ान
4 अगस्त, 2006 को इंडिगो ने दिल्ली से गुवाहाटी के लिए अपनी पहली उड़ान भरी। इसके बाद इंडिगो ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अप्रैल 2007 तक एयरलाइन ने 10 लाख यात्रियों को हवाई सफर कराया। 2010 में इंडिगो एयर इंडिया को पीछे छोड़कर 17.3 प्रतिशत मार्केट शेयर के साथ भारत की तीसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बन गई। अगस्त 2012 में यात्री क्षमता के लिहाज से इंडिगो देश की नंबर वन एयरलाइन बन गई।
सफलता
क्या है इंडिगो की सफलता का राज?
इंडिगो ने पूरी तरह से मध्यम वर्ग पर फोकस किया और लागत कम करने का सिद्धांत अपनाया। इसके लिए जहाज में सिर्फ इकोनॉमी क्लास की सीटें लगाईं, हर विमान में 180 लोगों को बैठाया, मुफ्त भोजन देना बंद किया और मेंटेनेंस, ट्रेनिंग और स्पेयर पार्ट की लागत कम करने के लिए एक ही तरह के विमानों का इस्तेमाल किया। कंपनी ने समय की पाबंदी के लिए यात्रियों और सामान की लोडिंग-अनलोडिंग के लिए सख्त नियम निर्धारित किए।
विवाद
जब टूट गई राहुल और राकेश की साझेदारी
इधर इंडिगो तेजी से उड़ान भर रही थी, तो उधर इसके दोनों साझेदारों में मतभेद सामने आने लगे। कहा जाता है कि राकेश एयरलाइन के तेजी से विस्तार और सख्त कॉर्पोरेट गवर्नेंस के पक्ष में थे, जबकि राहुल सावधानी से आगे बढ़ना चाहते थे। इसे लेकर दोनों में असहमतियां बढ़ने लगी। 2022 में राकेश ने कंपनी के बोर्ड से इस्तीफा दे दिया। 2025 तक उन्होंने अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी भी बेच दी और एयरलाइन से पूरी तरह बाहर हो गए।
वर्तमान हालात
आज रोजाना इंडिगो की 2200 उड़ानें, 60 प्रतिशत बाजार पर कब्जा
आज इंडिगो रोजाना 2,200 से ज्यादा उड़ानों का संचालन करती है। कंपनी के पास 417 जहाज हैं और ये देश के 90 से ज्यादा घरेलू और 40 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों पर उड़ानें भरते हैं। कंपनी का 61.4 प्रतिशत बाजार पर कब्जा है। हालांकि, मौजूदा संकट के कारण इंडिगो की पेरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन के शेयर 7 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है। कंपनी ने 15 दिंसंबर तक हालात सामान्य होने की बात कही है।