नेहरू से लेकर मोदी और मिग से लेकर S-400 तक, कैसे मजबूत होते गए भारत-रूस संबंध?
क्या है खबर?
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत दौरे पर आ रहे हैं। वे 23वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान रूस से S-400 वायु रक्षा प्रणाली की खरीद, व्यापार बढ़ाने, कच्चे तेल की आपूर्ति और द्विपक्षीय संबंधों के कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। आइए आज भारत और रूस संबंधों का इतिहास समझते हैं।
शुरुआत
कैसे हुई संबंधों की शुरुआत?
भारत ने आजादी की घोषणा से पहले ही अप्रैल, 1947 में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए। हालांकि, दोनों देशों के संबंध इससे पहले भी मजबूत थे। इसकी बानगी 1951 में देखने को मिली थी, जब सोवियत संघ ने भारत के समर्थन में कश्मीर विवाद पर वीटो शक्ति का इस्तेमाल किया था। 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने सोवियत संघ की पहली यात्रा की। इसी साल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव निकिता ख्रुश्चेव भारत आए।
नेहरू का रुख
नेहरू-इंदिरा कार्यकाल में और मजबूत हुए संबंध
प्रधानमंत्री नेहरू ने 1965 में फिर सोवियत संघ की यात्रा की। इस दौरान सोवियत संघ ने भारत के औद्योगीकरण अभियान का समर्थन किया और इस्पात संयंत्र, भारी मशीनरी, तकनीकी संस्थान और बांध समेत कई बुनियादी ढांचे बनाने में भारत की मदद की। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में रूस ने भारत का समर्थन किया। इसी साल इंदिरा गांधी ने भारत-सोवियत शांति, मैत्री और सहयोग संधि पर हस्ताक्षर कर दोनों देशों के सहयोग को नए स्तर पर पहुंचा दिया।
रक्षा
भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है रूस
1963 में भारतीय वायुसेना में रूसी मिग-21 शामिल हुआ, जो वायुसेना की रीढ़ बन गया। इसके कई युद्धों में निर्णायक भूमिका निभाई। भारत का पहला विमानवाहक पोत INS विक्रमादित्य और टैंक T-72M1 और T-90S भी रूस से आते हैं। भारत की पहली पनडुब्बी (INS कलवरी) भी रूस से ही खरीदी गई थी। नौसेना की 16 पारंपरिक पनडुब्बियों में से 8 सोवियत मूल की हैं। S-400 प्रणाली भी रूस की हैं और ब्रह्मोस मिसाइल भी रूस के साथ मिलकर बनाई गई।
सोवियत संघ
सोवियत संघ के पतन के बाद कैसे बढ़े रिश्ते?
सोवियत संघ के पतन के बाद 1999 में पुतिन रूस की सत्ता में आए। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में 2000 में उन्होंने पहली भारत यात्री की। इस दौरान दोनों देशों ने 'भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी घोषणापत्र' पर हस्ताक्षर किए। इसके बाद सुखोई के विकास, क्रायोजेनिक इंजन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और परमाणु ऊर्जा सहयोग में तेजी आई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), ब्रिक्स, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और G-20 जैसे कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर रूस ने भारत का सहयोग किया।
आर्थिक संबंध
कैसे हैं दोनों देशों में आर्थिक संबंध?
दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को बढ़ाने के लिए IRIGC, व्यापार और निवेश पर भारत-रूस मंच, भारत-रूस व्यापार परिषद, भारत-रूस व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी संवर्धन परिषद और भारत-रूस चैंबर ऑफ कॉमर्स जैसे निकाय शामिल हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 5.39 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचाना चाहते हैं।
मुलाकात
16 बार हो चुकी मोदी-पुतिन की मुलाकात
2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद उनके और पुतिन के बीच व्यक्तिगत संबंधों ने दोनों देशों के संबंधों को नई गति दी। इस दौरान अमेरिका से तनातनी के बीच भारत ने मॉस्को के साथ संबंधों में गर्माहट बरकरार रही। रूस-यूक्रेन युद्ध और हाल ही में रूसी तेल खरीद के चलते अमेरिकी टैरिफ के बावजूद भारत-रूस संबंधों में कोई गिरावट नहीं आई। पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच 16 बार मुलाकात हुई है।