ऑस्ट्रेलिया के बाद ये देश भी नाबालिगों के लिए सोशल मीडिया पर लगा सकते हैं प्रतिबंध
क्या है खबर?
ऑस्ट्रेलिया 10 दिसंबर से 16 साल से कम उम्र के बच्चों को टिक-टॉक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करने से रोकने जा रहा है। यह दुनिया में अपने तरह का सबसे बड़ा यूथ सेफ्टी कदम माना जा रहा है, जिसे लेकर कई देशों का ध्यान ऑस्ट्रेलिया पर टिका है। सरकार का कहना है कि यह फैसला बच्चों को साइबरबुलिंग, हानिकारक कंटेंट और एडिक्टिव फीचर्स से बचाने के लिए जरूरी है।
देश
ये देश भी लगा सकते हैं प्रतिबंध
ऑस्ट्रेलिया के फैसले का दुनियाभर में असर दिखाई दे रहा है। डेनमार्क, ब्राजील, इंडोनेशिया, मलेशिया, स्पेन, न्यूजीलैंड और सिंगापुर ऐसे देश हैं जो उम्र-आधारित पाबंदियां लागू करने पर विचार कर रहे हैं। कई देशों के डिजिटल मंत्री यह मान रहे हैं कि युवा ऑनलाइन दुनिया से तेजी से प्रभावित हो रहे हैं और इस तरह का नियम बच्चों को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है। कुछ देशों ने अपने मॉडल में पैरेंटल अप्रूवल जैसे विकल्प भी शामिल किए हैं।
चिंताएं
टेक कंपनियों पर जुर्माना और उद्योग की चिंताएं?
ऑस्ट्रेलिया में नए कानून के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 16 साल से कम उम्र के यूजर्स को ब्लॉक करना अनिवार्य होगा। ऐसा न करने पर कंपनियों पर लगभग 440 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। मेटा, टिक-टॉक और स्नैप जैसी कंपनियों ने कहा है कि नियम लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है और इससे बच्चे कम सुरक्षित ऑनलाइन जगहों पर जा सकते हैं। कंपनियों का कहना है कि पेरेंटल टूल और जागरूकता असरदार तरीका हो सकता है।
प्रतिबंध
प्रतिबंध क्यों तेजी से आगे बढ़ा?
यह अभियान तब तेज हुआ जब कई माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे साइबरबुलिंग के कारण गंभीर मानसिक चोटें झेल रहे हैं। कुछ परिवारों ने तो अपने बच्चों को भी खो दिया, जिससे सख़्त कानून की मांग बढ़ी। हालांकि, एडवोकेसी ग्रुप्स का कहना है कि पूरा बैन LGBTQ युवाओं और अन्य बच्चों के लिए ऑनलाइन सपोर्ट कम कर सकता है। कई युवा एक्टिविस्टों ने कहा कि असली समस्या एक्सेस नहीं, बल्कि हानिकारक कंटेंट है, जिसे रोकना ज्यादा जरूरी है।