किसान आंदोलन को छह महीने पूरे, किसानों ने मनाया 'काला दिवस'
क्या है खबर?
तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डर पर शुरू हुए किसान आंदोलन को आज छह महीने पूरे हो गए हैं।
आज के दिन को प्रदर्शनकारी किसानों ने 'काले दिन' के रूप में मनाते हुए पंजाब, दिल्ली और देश की कई दूसरों जगहों पर विरोध-प्रदर्शन किया। कई जगहों पर प्रधानमंत्री के पुतले जलाए गए तो कई किसानों ने अपने घर पर काला झंडा फहराकर विरोध दर्ज कराया।
आइये, पूरी खबर जानते हैं।
पृष्ठभूमि
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
बयान
गांवों में भी फहराए गए काले झंडे- किसान नेता
पिछले साल 26 नवंबर से मुख्य तौर पर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली के सिंघु, गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर पर टिके हुए हैं।
बुधवार को प्रदर्शनकारी पुरुषों ने काली पगड़ी बांधकर और महिलाओं ने काली चुन्नियां ओढ़कर सरकार का विरोध किया।
इंडिया टुडे के अनुसार, किसान नेता अवतार सिंह महमा ने कहा कि सिर्फ प्रदर्शनस्थल पर ही नहीं बल्कि हरियाणा और पंजाब के गांवों में भी घरों और वाहनों पर काले झंडे फहराए गए हैं।
किसान आंदोलन
हरियाणा और पंजाब से दिल्ली पहुंचे थे किसान
महमा ने कहा कि सरकार के मंत्रियों के पुतले जलाए गए हैं। आज का दिन यह बताने के लिए मनाया गया है कि किसानों को प्रदर्शन करते हुए छह महीने हो गए, लेकिन सरकार उनकी बात नहीं सुन रही है।
प्रदर्शनकारी किसानों का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चे ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि 26 मई को काला दिन मनाया जाएगा। इसके लिए हरियाणा और पंजाब के अलग-अलग हिस्सों से किसान दिल्ली पहुंचे थे।
किसान आंदोलन
गाजीपुर बॉर्डर पर मामूली झड़प
किसानों के आह्वान को देखते हुए बुधवार सुबह से टिकरी, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। दिल्ली पुलिस के जवान दंगारोधी गियर पहने प्रदर्शनस्थलों के आसपास तैनात थे।
जानकारी के अनुसार, गाजीपुर बॉर्डर के पास पुलिस ने पुतला जलाने जा रहे किसान नेता राकेश टिकैत और उनके समर्थकों को रोकने का प्रयास किया तो दोनों पक्षों में मामूली झड़प हो गई। पुलिस और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच मामूली झड़प भी हुई।
बयान
कानून वापस होते ही लौट जाएंगे किसान- महमा
इससे पहले मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने किसानों द्वारा किए जा रहे कोविड प्रोटोकॉल के उल्लंघन को लेकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली को नोटिस भेजा था।
जब किसान नेता महमा से इस पर प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने कहा कि पहले तो सरकार को महामारी के बीच ये कानून लाने नहीं थे। अब अगर सरकार चाहती है कि किसान वापस जाए तो उसे इन कानूनों को वापस लेना होगा। कानून वापस होते ही किसान लौट जाएंगे।
कृषि कानून
किसानों ने की बातचीत बहाली की मांग
बीते सप्ताह संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री मोदी को ईमेल भेजकर सरकार और किसानों के बीच दोबारा बातचीत शुरू कराने के लिए दखल देने को कहा था।
किसान संगठन का कहना था कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के मुखिया होने के नाते किसानों और सरकार के बीच बातचीत बहाल कराने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की है।
संगठन ने कहा कि अगर सरकार बातचीत के लिए तैयार नहीं होती है तो आंदोलन को तेज किया जाएगा।