दिल्ली विधेयक का राज्यसभा से पारित होना तय, YSR कांग्रेस ने दिया सरकार को समर्थन
दिल्ली में सेवाओं के अधिकार से संबंधित केंद्र सरकार के विवादित दिल्ली विधेयक का संसद से पारित होना लगभग तय हो गया है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की YSR कांग्रेस पार्टी के मुद्दे पर केंद्र की भाजपा सरकार को समर्थन देने के बाद सरकार अब विधेयक को राज्यसभा में भी आसानी से पारित कराने की स्थिति में पहुंच गई है। YSR कांग्रेस के राज्यसभा में 9 और लोकसभा में 22 सदस्य हैं।
राज्यसभा का क्या गणित?
दिल्ली विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने लिए सरकार को 120 सदस्यों का समर्थन चाहिए और भाजपा और उसके सहयोगियों के पहले से ही 112 सदस्य हैं। बाकी वोट जुटाने के लिए सरकार तमाम पार्टियों के संपर्क में थी और अब YSR कांग्रेस ने उसे समर्थन दे दिया है। YSR कांग्रेस के 9 सासंदों का समर्थन मिलने बाद इस विधेयक के समर्थन में कुल 121 वोट पड़ेंगे, जो बहुमत के आंकड़े से एक अधिक हैं।
क्या है दिल्ली विधेयक?
यह विधेयक दिल्ली के नौकरशाहों पर नियंत्रण के लिए एक अध्यादेश की जगह लेगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को जारी अपने आदेश में कहा था कि नौकरशाहों के स्थानांतरण और नियुक्तियों पर केंद्र नहीं, बल्कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार का नियंत्रण है। इस आदेश को पलटने के लिए केंद्र सरकार ने 19 मई को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश जारी किया था। इसके खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की है।
विधेयक को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच टकराव
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सेवा के अधिकार पर केंद्र के इस अध्यादेश का जमकर विरोध किया था। इस मामले में दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच काफी टकराव देखने को मिला है। केजरीवाल ने अध्यादेश को असंवैधानिक बताते हुए विपक्षी पार्टियों से राज्यसभा में इस विधेयक के विरोध में समर्थन मांगा था। हाल में अन्य विपक्षी पार्टियों के समर्थन के बाद कांग्रेस ने भी मामले में आम आदमी पार्टी (AAP) को समर्थन देने का घोषणा की थी।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ करे रही मामले पर सुनवाई
20 जुलाई को दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में सेवाओं पर अधिकार से संबंधित अध्यादेश के इस मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ के पास भेजा दिया था। कोर्ट की बेंच ने इस मामले की जल्द सुनवाई करने के दिल्ली सरकार के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था। इस याचिका पर सुनवाई अब अगस्त में होनी है। उससे पहले संसद के मानसून सत्र में यह विधेयक पारित हो जाएगा।