दिल्ली धमाका नहीं था फिदायीन हमला, जल्दबाजी में हुआ संदिग्ध आतंकी से विस्फोट- रिपोर्ट
क्या है खबर?
दिल्ली में सोमवार को लाल किले के पास कार में हुआ विस्फोट फिदायीन (आत्मघाती) हमला नहीं था, बल्कि उसे संदिग्ध आतंकवादी ने हताशा में अंजाम दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जांच में पता चला है कि पुलवामा का रहने वाला संदिग्ध हमलावर डॉक्टर मोहम्मद उमर नबी सफेद हुंडई i20 कार चला रहा था। वह फरीदाबाद और अन्य जगह हुए छापों से हताश था, इसलिए घबराहट में आकर जल्दबाजी में विस्फोट का कदम उठाया।
जांच
जल्दबाजी के कारण बम का असर हुआ कम
जांच अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली-NCR और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों ने छापेमारी कर भारी मात्रा में विस्फोटक और हथियार बरामद किए थे और कई लोग गिरफ्तार हुए थे, जिसके बाद संदिग्ध हमलावर तनाव में था और उस पर दबाव बढ़ गया था। पकडे़ जाने से पहले उसने विस्फोट को अंजाम देना बेहतर समझा। अधिकारियों का कहना है कि समय से पहले फटने के कारण विस्फोट का असर कम था क्योंकि बम पूरी तरह विकसित नहीं हुआ था।
जांच
फरीदाबाद में बरामद सामग्री से हुआ है विस्फोट
जांच अधिकारियों का कहना है कि फरीदाबाद से अल-फलाह मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने वाले डॉक्टर उमर ने ही घटना को अंजाम दिया। घटना के समय वह कार चला रहा था। प्रारंभिक फोरेंसिक जांच में पता चला कि विस्फोट उसी सामग्री से हुआ है, जो फरीदाबाद में बरामद हुआ था। जांच चल रही है कि विस्फोट पूर्व नियोजित था या दुर्घटनावश। संभावना जताई जा रही है कि आरोपी का इरादा फिदायीन हमले का नहीं था, उससे जल्दबाजी में विस्फोट हुआ है।
जांच
विस्फोट के बाद न गड्ढा हुआ न कोई छर्रे मिले
केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारियों का मानना है कि लाल किले पर विस्फोट योजना से नहीं हुआ है, बल्कि विस्फोटक की खेप को सुरक्षित जगह ले जाने के दौरान हुआ है। धमाके के बाद आसपास और मृतकों के शरीर से नुकीली कीलें, छर्रे या धातु के टुकड़े नहीं मिले हैं, जो आमतौर पर अधिकतम हताहतों के लिए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) में पाए जाते हैं। माना जा रहा है कि विस्फोटक कच्चे थे, उन्हें विस्फोट के लिए नहीं बनाया गया था।
जांच
फिदायीन हमले की आशंका क्यों हो रही खारिज?
जांच अधिकारी कहते हैं कि विस्फोट का स्वरूप और क्षति की प्रकृति फिदायीन हमले की संभावना को खारिज करती है क्योंकि इसके लिए बेहद प्रशिक्षित हमलावर को चुना जाता है। ऐसा लगता है कि विस्फोट वाहन के अंदर हुआ, जो संभवतः घर्षण या गलत संचालन के कारण था क्योंकि विस्फोट कार के धीमी गति से चलते समय हुआ है न की खड़े रहते और दूर से। कार में एक से अधिक लोग थे, जो मारे गए हैं।
हमला
क्या बड़ी आतंकी घटना टल गई है?
जांच अधिकारियों का कहना है कि 2,900 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद होने के बाद बड़ी आतंकी घटना टली है, लेकिन आतंकी अन्य बड़ी घटना की योजना बना रहे थे। कार के अंदर विस्फोट को जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मॉड्यूल की भूल बताई जा रही है। सोमवार का धमाका न होने पर आतंकी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में थे। फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) मामले की गहन पड़ताल कर रही है।
घटना
जम्मू-कश्मीर में पोस्टर चिपकाने से लेकर लाल किले पर विस्फोट तक
श्रीनगर में 19 अक्टूबर को जैश के आपत्तिजनक पोस्टर लगाने पर मौलवी इरफान अहमद और जमीर अहमद गिरफ्तार हुए। इसके बाद उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से 5 नवंबर को डॉ अदील राथर और 10 नवंबर को डॉक्टर मुजम्मिल पकड़े गए। दोनों फरीदाबाद की अल-फलाह विश्वविद्यालय में शिक्षक थे। मामले में जम्मू-कश्मीर और हरियाणा पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया और 2,900 किलोग्राम विस्फोटक, उपकरण, हथियार बरामद किए। कार विस्फोट इसी से जुड़ा है और उमर इन्ही का साथी था।