दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिया इस्तीफा, निजी कारणों का दिया हवाला
क्या है खबर?
दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। समाचार एजेंसी ANI के सूत्रों के अनुसार, बैजल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को अपना इस्तीफा भेज दिया है। उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया है।
बैजल ने 31 दिसंबर, 2016 को दिल्ली के उपराज्यपाल का पद संभाला था और तब से इस पद पर बने हुए थे। उनसे पहले नजीब जंग दिल्ली के उपराज्यपाल थे।
करियर
कैसा रहा अनिल बैजल का करियर?
अनिज बैजल 1969 के अरुणाचल प्रदेश-गोवा-मिजोरम और केंद्र शासित प्रदेश (AGMUT) बैच के रिटायर्ड IAS अधिकारी हैं और अपने करियर के दौरान उन्होंने कई अहम पदों पर अपनी सेवाएं दीं।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान वह केंद्रीय गृह सचिव रहे थे। इस दौरान उन्होंने किरण बेदी को दिल्ली की जेलों के प्रमुख के पद से हटाया था और उन पर जेल मैनुअल के लगभग हर नियम को तोड़ने का आरोप लगाया।
अन्य पद
अन्य किन अहम पदों पर रहे बैजल?
लगभग पांच दशक के अपने करियर में दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के उपाध्यक्ष, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव, सूचना प्रसारण मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव, गोवा के विकास कमिश्नर और दिल्ली के सेल्स टैक्स कमिश्नर के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
इसके अलावा उन्होंने प्रसार भारती और इंडियन एयरलाइंस जैसी सरकारी कंपनियों में भी अपनी सेवाएं दी हैं।
वह शहरी विकास सचिव भी रहे। इसी पद से वह 2006 में रिटायर हुए थे।
टकराव
कई बार आमने-सामने आए बैजल और केजरीवाल
दिल्ली के उपराज्यपाल के तौर पर कार्यकाल के दौरान अनिल बैजल का कई बार दिल्ली की चुनी हुई सरकार और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से आमना-सामना हुआ।
केजरीवाल ने बैजल पर दिल्ली में एक समानांतर सरकार चलाने और उनकी अनुपस्थिति में अधिकारियों के साथ बैठक करने का आरोप लगाया है।
बैजल ने कई बार दिल्ली सरकार के फैसलों को पलटा। इनमें से अधिकांश फैसले कोरोना वायरस महामारी और इससे संबंधित नियमों और पाबंदियों से संबंधित रहे।
टकराव
ताकतों के बंटवारे को लेकर होता है सरकार और उपराज्यपाल का टकराव
बता दें कि दिल्ली में प्रशासनिक ताकतों को लेकर अक्सर उपराज्यपाल और दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच टकराव होता रहता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद अभी तक दोनों की शक्तियों के बंटवारे पर स्थिति साफ नहीं हुई है और दोनों अक्सर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहते हैं।
2021 में केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अधिनियम भी लेकर आई जिसमें उपराज्यपाल को दिल्ली की सरकार घोषित किया गया है।