जामिया हिंसा मामला: दिल्ली की अदालत ने शरजील इमाम को दी जमानत
क्या है खबर?
दिल्ली की एक अदालत ने साल 2019 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के बाहर हुई हिंसा के मामले मुख्य आरोपी और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के PhD छात्र रहे शरजील इमाम को गुरुवार को जमानत दे दी है।
इस मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से दायर की गई चार्जशीट में शरजील को हिंसा भड़काने का जिम्मेदार ठहराया था।
बता दें शरजील जनवरी 2020 से ही दिल्ली के जेल में बंद हैं और मामले में लगातार सुनवाई हो रही है।
पृष्ठभूमि
कब हुई थी हिंसा?
15 दिसंबर, 2019 को दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे।
इन्हीं प्रदर्शनों के दौरान यूनिवर्सिटी के बाहर हिंसा भड़क गई और उपद्रवियों ने बसों को आग के हवाले कर दिया। उपद्रवियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी की, जिसके बाद पुलिस ने भीड़ पर काबू पाने के लिए फायरिंग की।
उस दौरान पुलिस पर बिना इजाजत यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसने और छात्रों पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगा था।
जिम्मेदार
पुलिस ने शरजील के भाषण को माना था हिंसा के लिए जिम्मेदार
इस मामले की जांच के बाद पुलिस ने कहा था कि शरजील ने हिंसा से पहले कॉलेज में भड़काऊ भाषण दिया था। उसके बाद ही यह हिंसा भड़की थी।
इसको लेकर पुलिस ने 25 जनवरी, 2020 को शरजील के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124 ए (देशद्रोह) और 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास के आधार पर दुश्मनी या दुश्मनी की भावनाओं को बढ़ावा देने या बढ़ावा देने का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया था।
गिरफ्तारी
पुलिस ने बिहार से किया था शरजील को गिरफ्तार
इस मामले में पुलिस ने 28 जनवरी, 2020 को बिहार के जहानाबाद में दबिश देकर शरजील को गिरफ्तार कर लिया था।
उस दौरान शरजील पर शाहीन बाग में हो रहे प्रदर्शन से जुड़े होने का भी आरोप लगा था, लेकिन वहां प्रदर्शनकारियों ने इससे इनकार कर दिया था।
पुलिस ने 18 फरवरी, 2020 को कोर्ट में चार्जशीट पेश करते हुए जामिया हिंसा के लिए शरजील को ही पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया था। वह तब से ही जेल में हैं।
याचिका
शरजील ने अक्टूबर में दायर की थी जमानत याचिका
मामले में शरजील ने अक्टूबर 2021 में कोर्ट में जमानत के लिए याचिका दायर की थी।
उन्होंने याचिका में तर्क दिया था कि वह देशद्रोही नहीं है और उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप कानून द्वारा स्थापित सरकार के न होकर किसी सम्राट की तानाशाही है। ऐसे में उन्हें मामले में जमानत दी जानी चाहिए।
इस याचिका पर लंबी सुनवाई के बाद अब कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। यह जमानत शरजील के लिए राहत देने वाली होगी।
देशद्रोह
शरजील के खिलाफ कई राज्यों में दर्ज हुए थे देशद्रोह के मामले
शरजील ने 16 जनवरी, 2020 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देते हुए कहा था कि असम को भारत के शेष हिस्से से काट दिया जाना चाहिए तभी वह हमारी बात सुनेंगे।
इसको लेकर उनके खिलाफ दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश में द्रेशद्रोह के मामले दर्ज किए गए थे।
हालांकि, गत 27 नवंबर को इलाहबाद हाई कोर्ट ने उन्हें उत्तर प्रदेश में दर्ज देशद्रोह के मामले में जमानत दे दी है।
जानकारी
कौन हैं शरजील इमाम?
जहानाबाद के रहने वाले शरजील इमाम ने IIT बॉम्बे से कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने कुछ दिन तक वहां अध्यापन कार्य भी किया था।
स्नातक के बाद उन्होंने बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में दो साल तक डेवेलपर के रूप में काम किया था।
2013 में उन्होंने JNU से आधुनिक इतिहास में मास्टर्स करने के लिए प्रवेश लिया था। वहां से MPhil करने के बाद वो PhD कर रहे थे।