नए स्ट्रेन के खिलाफ अधिक कारगर होने की संभावना के चलते 'कोवैक्सिन' को मिली मंजूरी- ICMR
क्या है खबर?
भारत में आज ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और भारत बायोटेक की वैक्सीनों को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी।
इनमें से भारत बायोटेक की कोवैक्सिन पूरी तरह से स्वदेशी है और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के प्रमुख डॉ बलराम भार्गव ने इसके यूनाइटेड किंगडम (UK) में पाए गए कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ भी कारगर होने की उम्मीद जताई है।
उन्होंने इसका क्या कारण बताया है, आइए जानते हैं।
इंटरव्यू
डॉ भार्गव बोले- कोवैक्सिन के नए स्ट्रेन के खिलाफ काम करने की अधिक संभावना
द प्रिंट से बात करते हुए डॉ भार्गव ने कहा, "हम जानते हैं कि वायरस में स्पाइक प्रोटीन समेत अन्य कई जगहों पर म्यूटेशन हुए हैं। फाइजर ने कहा है कि उन्हें वैक्सीन को बदलने में छह हफ्ते लगेंगे। लेकिन चूंकि कोवैक्सिन पूरे वायरस को मारकर बनाई गई है, इसके म्यूटेंट स्ट्रेन के खिलाफ भी कारगर होने की अधिक संभावना है।"
उन्होंने कहा कि कोवैक्सिन को इसी कारण डाटा की कमी के बावजूद आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गई है।
कारण
इस कारण कोवैक्सिन के बेहतर तरीके से काम करने की उम्मीद
अपनी बात को आसान भाषा में समझाते हुए डॉ भार्गव ने कहा, "आसान शब्दों में कहें तो अगर वैक्सीन में 1,000 पॉइंट हैं और उनमें से दो में म्यूटेशन हो गया है तो फिर भी रिस्पांस पैदा करने के लिए 998 पॉइंट होंगे। इसकी विपरीत mRNA वैक्सीनें विशिष्ट इलाकों को टारगेट करके बनाई जाती हैं और अगर इन इलाकों में म्यूटेशन होता है तो ये वैक्सीनें उतनी अच्छी तरीके से काम नहीं करेंगी।"
सवाल
कोवैक्सिन को मंजूरी दिए जाने पर उठ रहे हैं सवाल
बता दें कि डॉ भार्गव ने भले ही कोवैक्सिन के नए स्ट्रेन के खिलाफ काम करने की उम्मीद जताई हो, लेकिन DCGI के आधिकारिक बयान में इसका जिक्र नहीं किया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने जरूर नए स्ट्रेन को देखते हुए जनहित में कोवैक्सिन को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दिए जाने की बात कही है।
हालांकि वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के आंकड़े मौजूद नहीं हैं और इस कारण उसे मंजूरी दिए जाने पर सवाल उठ रहे हैं।
पृष्ठभूमि
भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर विकसित की है कोवैक्सिन
गौरतलब है कि भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और ये पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है। पुणे स्थित ICMR के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की।
पहले और दूसरे चरण के ट्रायल में इसे सुरक्षित पाया गया था और ये इम्युनिटी पैदा करने में कामयाब रही थी। तीसरे चरण का ट्रायल अभी चल रहा है।
मौजूदा स्थिति
भारत में क्या है कोरोना वायरस महामारी की स्थिति?
भारत में अभी तक 1.03 करोड़ लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित पाया जा चुका है और 1.49 लाख लोगों की मौत हुई है।
पिछले कुछ महीने में देश में संक्रमण की स्थिति बेहतर हुई है और सितंबर में लगभग 95,000 के पीक के मुकाबले अभी देश में रोजाना 20,000 के आसपास नए मामले सामने आ रहे हैं। दैनिक मौतों की संख्या भी 1,100 से घटकर 300 से कम पर आ गई है।
रिकवरी रेट 96.16 प्रतिशत है।