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क्या है खबर?
चीन ने 6 महीने की रोक के बाद भारत को दुर्लभ खनिजों की सप्लाय शुरू कर दी है। इसे देश के इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के निर्माताओं के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है। चीन ने भारत की 4 कंपनियों को ये खनिज निर्यात करना शुरू कर दिए हैं। हालांकि, चीन ने एक शर्त लगाई है कि भारत इन खनिजों को दोबारा अमेरिका को निर्यात नहीं कर सकता।
रिपोर्ट
4 कंपनियों को शुरू हुई आपूर्ति
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने स्थानीय अधिकारियों से मंजूरी मिलने के बाद भारत की 4 कंपनियों- हिताची, कॉन्टिनेंटल, जे-उशिन और DE डायमंड्स को निर्यात की अनुमति दे दी है। हालांकि, इन मंजूरियों के साथ कुछ सख्त शर्तें भी हैं। भारत इन खनिजों को अमेरिका को पुनः निर्यात नहीं कर सकता और न ही इनका इस्तेमाल सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
बयान
विदेश मंत्रालय ने भी की पुष्टि
दुर्लभ खनिज उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स से कहा, "आपूर्ति में कुछ सुधार होता दिख रहा है। 4 कंपनियों को खनिजों के आयात की मंजूरी मिल गई है।" भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारतीय कंपनियों को दुर्लभ खनिजों के आयात के लिए चीन से लाइसेंस मिलने शुरू हो गए हैं। हमें यह देखना होगा कि अमेरिका और चीन के बीच बातचीत हमारे क्षेत्र में कैसे असर डालेगी।"
रोक
अप्रैल में चीन ने लगाई थी निर्यात पर रोक
चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए 4 अप्रैल को दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे टैरिफ वॉर से भी जोड़कर देखा गया था। नए नियमों के तहत, निर्यातकों को चीन के वाणिज्य विभाग से लाइसेंस प्राप्त करना होगा, जिसमें यह गारंटी देनी होगी कि खनिजों का इस्तेमाल सामूहिक विनाश के हथियारों और उनके वितरण प्रणालियों के भंडारण, निर्माण, उत्पादन या प्रसंस्करण के लिए नहीं किया जाएगा।
खनिज
क्या होते हैं दुर्लभ खनिज?
दुर्लभ खनिज 17 तत्वों का एक समूह है, जिनकी रासायनिक विशेषताएं एक जैसी होती हैं। इन सभी में अद्वितीय चुंबकीय, प्रकाशीय और विद्युत-रासायनिक गुण होते हैं। इन खनिजों के बिना आप लगभग सभी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को बनाने की कल्पना भी नहीं कर सकते। इनका इस्तेमाल लाउडस्पीकर, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, इलेक्ट्रिक कार मोटर, स्मार्टफोन, चिप से लेकर लड़ाकू विमान और मिसाइल बनाने तक में होता है। दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत दुर्लभ खनिजों की प्रोसेसिंग चीन में होती है।