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#NewsBytesExplainer: चीन ब्रह्मपुत्र पर बना रहा दुनिया का सबसे बड़ा बांध, भारत पर क्या होगा असर?
चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बना रहा है (प्रतीकात्मक तस्वीर)

#NewsBytesExplainer: चीन ब्रह्मपुत्र पर बना रहा दुनिया का सबसे बड़ा बांध, भारत पर क्या होगा असर?

लेखन आबिद खान
Jul 20, 2025
05:59 pm

क्या है खबर?

चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े बांध का निर्माण शुरू कर दिया है। चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग ने इस परियोजना का शिलान्यास किया है। इस परियोजना पर कुल 12 लाख करोड़ रुपये खर्च होना है। यह बांध अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे न्यिंगची शहर में बनाया जा रहा है, जिस पर भारत ने गहरी चिंता जताई है। आइए जानते हैं इसका भारत पर क्या असर होगा।

बांध

सबसे पहले बांध के बारे में जानिए

ये बांध दक्षिण-पूर्वी तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर उस जगह बनाया जा रहा है, जहां नदी अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करने से पहले एक तीखा मोड़ लेती है और बांग्लादेश की ओर बढ़ जाती है। चीनी समाचार एजेंसी शिंहुआ के अनुसार, परियोजना में कुल 5 जलविद्युत केंद्र होंगे, जो सालाना 300 अरब किलोवॉट-घंटा बिजली उत्पादन करेंगे। ये दुनिया का सबसे बड़ा बांध होगा। फिलहाल चीन में यांग्त्जी नदी पर बना थ्री गॉर्जेस बांध दुनिया का सबसे बड़ा बांध है।

भारत

बांध को लेकर भारत की क्या है चिंता?

भारत के साथ बांग्लादेश भी इस परियोजना का विरोध कर रहा है, क्योंकि दोनों देशों की कृषि, पेयजल और पारिस्थितिकी तंत्र ब्रह्मपुत्र से आने वाले पानी पर बहुत अधिक निर्भर है। दोनों देशों का मानना है कि बांध से पानी के बहाव में बाधा आएगी, पोषक तत्वों से भरपूर गाद आना बंद हो जाएगी और सबसे बड़ी चिंता है कि चीन नदी के पानी का इस्तेमाल रणनीतिक लाभ के लिए कर सकता है।

बयान

अरुणाचल के मुख्यमंत्री ने बांध को बताया 'वाटर बम'

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा है कि चीन बांध को 'वॉटर बम' के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। उन्होंने कहा था, "चीन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। मुझे लगता है कि यह किसी भी अन्य समस्या से कहीं ज्यादा बड़ा है, क्योंकि चीन इसे एक तरह के 'वॉटर बम' के रूप में भी इस्तेमाल कर सकता है। मान लीजिए कि चीन अचानक पानी छोड़ देता है, तो हमारा पूरा सियांग क्षेत्र नष्ट हो जाएगा।"

चिंता

भारत ने बांध को लेकर क्या चिंता जताई है?

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसी साल जनवरी में बांध को लेकर चिंता जताई थी। भारत ने कहा था कि ब्रह्मपुत्र पर बांध बनाने से निचले राज्यों के हितों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। भारत ने चीन से आग्रह किया था कि वो सुनिश्चित करे कि बांध की गतिविधियों से निचले राज्यों के लोगों को कोई नुकसान नहीं पहुंचे। चीन ने कहा था कि परियोजना से निचले क्षेत्रों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

भूकंप

भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है इलाका

यह इलाका धरती के टैक्टोनिक प्लेट पर बसा है और भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील है। भारत की एक चिंता ये भी है कि बांध बनने से क्षेत्र का पारिस्थितिकी तंत्र गड़बड़ा सकता है, जो कई प्राकृतिक घटनाओं की वजह बन सकता है। ब्रह्मपुत्र नदी भारत में प्रवेश करने से पहले 25,000 फीट की ऊर्ध्वाधर गिरावट के साथ दुनिया की सबसे गहरी घाटी बनाती है। यहां बांध बनाना इंजीनियरिंग और तकनीक के लिहाज से भी काफी चुनौतीपूर्ण होगा।

चीन

भारत की चिंताओं पर चीन का क्या कहना है?

चीन का कहना है कि परियोजना से निचले क्षेत्रों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा और इसे कई दशकों की रिसर्च के बाद सुरक्षित तरीके से बनाया जा रहा है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा था, "चीन ने हमेशा अंतर-देशीय नदियों के विकास की जिम्मेदारी निभाई है। तिब्बत में परियोजना को दशकों की रिसर्च के बाद मंजूरी दी गई है। इसमें पारिस्थितिकी संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है।"

तैयारी

भारत की क्या है तैयारी?

भारत अरुणाचल प्रदेश में देश की सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना (SUMP) पर काम कर रहा है। दिसंबर, 2022 में नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC) द्वारा जारी एक प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक, परियोजना के तहत 9 बिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता और 11,000 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसे सियांग जिले में पारोंग और डाइट डाइम या ऊपरी सियांग जिले में उगेंग में बनाया जा सकता है। हालांकि, स्थानीय लोग इसका विरोध कर रहे हैं।