यूक्रेन से लौटे छात्रों को झटका, केंद्र ने कहा- भारतीय कॉलेजों में नहीं मिल सकता एडमिशन
रूस के साथ युद्ध के चलते यूक्रेन से भारत लौटे हजारों मेडिकल छात्रों को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि यूक्रेन से लौटे छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिल नहीं किया जा सकता क्योंकि कानून में इसका कोई प्रावधान नहीं है। कोर्ट में सौंपे हलफनामे में केंद्र ने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने विदेशों से लौटे मेडिकल छात्रों को भारतीय कॉलेजों में दाखिले की अनुमति नहीं दी है।
छात्रों की याचिका के जवाब में दायर किया हलफनामा
यूक्रेन में इस साल फरवरी में शुरू हुए युद्ध के चलते हजारों छात्रों को अपनी पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत लौटना पड़ा था। MBBS के पहले से चौथे साल तक के इन छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि उन्हें उनके सेमेस्टर के हिसाब से भारतीय मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिया जाए। इसके जवाब में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है, जो छात्रों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
केंद्र ने नियमों का दिया हवाला
सरकार की तरफ से कहा गया है कि इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 और नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट, 2109 में ऐसे कोई प्रावधान नहीं हैं, जिनसे विदेशी कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों को भारतीय मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर किया जा सके।
छात्रों की मदद के लिए सरकार ने सुझाया यह कदम
केंद्र ने कहा कि ऐसे छात्रों की मदद के लिए, जो यूक्रेन में अपना MBBS का कोर्स पूरा नहीं कर पाए थे, उनके लिए NMC ने विदेश मंत्रालय के साथ मिलकर 6 सितम्बर को एक नोटिस जारी किया था। इसमें कहा गया था कि अगर कोई छात्र यूक्रेन में अपने मूल संस्थान की अनुमति से किसी दूसरे देश से अपना कोर्स पूरा करता है तो NMC उसे वैध मानेगा। हालांकि, इसका सर्टिफिकेट मूल संस्थान से जारी होना चाहिए।
छात्रों ने जताई थीं ये आपत्तियां
दरअसल, कुछ याचिकाकर्ताओं का कहना था कि 6 सितम्बर के नोटिस में सरकार ने एकेडमिक मोबिलिटी प्रोग्राम पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी, जिसमें छात्र विदेशी कॉलेजों में ट्रांसफर हो सकते थे, लेकिन इसमें यह साफ नहीं है क्या इस प्रोग्राम के दायरे में भारतीय मेडिकल संस्थान भी आते हैं। सरकार ने कहा कि छात्रों ने दावा किया है कि जब उन्होंने अपने मूल संस्थानों में इस प्रोग्राम के लिए आवेदन किया तो उसे ठुकरा दिया गया।
सरकार ने दिए ये तर्क
सरकार ने कहा कि 6 सितम्बर के नोटिस को विदेशों से लौटे छात्रों को भारतीय कॉलेजों में दाखिला देने का जरिया नहीं समझा जा सकता क्योंकि यहां के नियम इसकी इजाजत नहीं देते। न ही इस नोटिस को पिछले दरवाजे से भारतीय संस्थानों में दाखिले के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। केंद्र ने आगे कहा कि इनमें से अधिकतर छात्र NEET परीक्षा में कमजोर प्रदर्शन या भारत में महंगी मेडिकल शिक्षा के चलते विदेश गए थे।
आज फिर होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट को केंद्र ने बताया कि NEET में कमजोर प्रदर्शन वाले छात्रों को बड़े मेडिकल कॉलेजों में ट्रांसफर किया जाता है तो इन कॉलेजों में सीट पाने से वंचित रहने वाले उम्मीदवार आपत्ति जताते हुए कोर्ट आ सकते हैं। वहीं अगर विदेश से लौटे छात्रों को निजी कॉलेजों में दाखिला दिलाया जाता है तो हो सकता है कि वो वहां की महंगी फीस न चुका पायें। आज इस मामले पर कोर्ट में फिर सुनवाई होगी।