महंगाई कम करने के लिए गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकती है सरकार- रिपोर्ट
खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है। ब्लूमबर्ग की खबर के मुताबिक, सरकार गैर-बासमती चावल की अधिकांश किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंंध लगाने पर विचार कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो करीब 80 प्रतिशत चावल निर्यात इस फैसले से प्रभावित होगा। बता दें कि घरेलू बाजार में इस साल चावल की कीमत 15 प्रतिशत से भी ज्यादा बढ़ गई है।
निर्यात पर प्रतिबंध क्यों लगा सकती है सरकार?
12 जुलाई को जारी हुए आंकड़ों के अनुसार, देश में खुदरा महंगाई दर 4.81 प्रतिशत हो गई है, जो मई में 4.31 प्रतिशत थी। महीने दर महीने के आधार पर खाद्य महंगाई दर भी 2.96 प्रतिशत से बढ़कर 4.49 प्रतिशत पहुंच गई है। इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार गैर-बासमती चावल का निर्यात बंद कर सकती है। इसके अलावा देश के कई चावल उत्पादक राज्यों में असामान्य बारिश से पैदावार कम होने की भी आशंका है।
भारत के कदम का होगा दुनियाभर पर असर
भारत दुनिया का सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश है और वैश्विक स्तर पर चावल के निर्यात में करीब 40 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। अल नीनो प्रभाव के चलते पहले से ही चावल की कीमतें बढ़ गई हैं। अगर भारत निर्यात पर प्रतिबंध लगाता है तो इससे देश में चावल की कीमतें तो स्थिर रहेंगी, लेकिन वैश्विक स्तर पर कीमतों में इजाफा हो सकता है, जिससे खाद्य संकट बढ़ सकता है।
टूटे चावल के निर्यात पर पहले से लगी हुए है रोक
यूक्रेन संकट से उपजे हालात को देखते हुए पिछले साल सितंबर में भारत ने टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। सफेद और भूरे चावल के निर्यात पर भी 20 प्रतिशत टैक्स लगाया गया था। हालांकि, इस टैक्स के बावजूद चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। 2022 में भारत का चावल निर्यात 3.5 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 2.23 करोड़ टन पहुंच गया था। ये 4 सबसे बड़े चावल उत्पादक देशों के संयुक्त निर्यात से भी ज्यादा है।
पूरी दुनिया में बढ़ रहा है चावल का संकट
दुनियाभर में चावल का संकट गहरा रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अल नीनो की वजह से दक्षिण-पूर्व एशिया में सूखा पड़ने की आशंका जताई है। इस इलाके में कई बड़े चावल उत्पादक देश हैं। इसके अलावा कई आयातक देशों ने बड़े पैमाने पर चावल का संग्रह करना शुरू कर दिया है। बता दें, चावल दुनिया की लगभग आधी आबादी का मुख्य भोजन है और केवल एशिया में ही वैश्विक आपूर्ति का 90 प्रतिशत चावल इस्तेमाल किया जाता है।