हैदराबाद विश्वविद्यालय में हुई प्रधानमंत्री मोदी पर बनी BBC की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग
हैदराबाद विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बनी BBC की विवादित डाक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग किए जाने का मामला सामने आया है। बतौर रिपोर्ट्स, स्टूडेंट इस्लामिक आर्गेनाइजेशन और मुस्लिम स्टूडेंट फेडरेशन ने इस स्क्रीनिंग का आयोजन किया था, जिसमें 50 से अधिक छात्र शामिल हुए। पुलिस ने बताया कि मामले में अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं की गई है। बता दें कि भारत सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री को पूर्वाग्रह से ग्रसित प्रोपेगेंडा का हिस्सा बताया था।
ABVP ने की आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने मामले की शिकायत विश्वविद्यालय के अधिकारियों से करते हुए आयोजकों पर कार्रवाई की मांग की है। ABVP के छात्र नेता महेश ने आरोप लगाया कि अनुमति के बिना विश्वविद्यालय परिसर के अंदर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का आयोजन किया गया था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि मामले को लेकर शिकायत मिल चुकी है और सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
JNU में भी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर बांटे गए पोस्टर
दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के छात्र संघ ने भी मंगलवार रात को विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने को लेकर एक पोस्टर जारी किया है। JNU प्रशासन ने एक बयान जारी करते हुए स्क्रीनिंग नहीं करने की हिदायत दी है। प्रशासन ने कहा है कि यदि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई तो यह गैरकानूनी होगा और छात्रों पर कार्रवाई की जाएगी। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्क्रीनिंग को रद्द कर दिया गया है।
BBC की डॉक्यूमेंट्री में क्या दिखाया गया है?
'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' नामक BBC की इस डॉक्यूमेंट्री के पहले हिस्से में 2002 गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका पर कई बड़े दावे किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि दंगों के बाद ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने अपने स्तर पर मामले की जांच की थी और इसमें पाया गया था कि हिंसा पहले से सुनियोजित थी और राज्य सरकार के संरक्षण में विश्व हिंदू परिषद (VHP) जैसे संगठनों के कार्यकर्ताओं ने इसे अंजाम दिया था।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने डॉक्यूमेंट्री पर क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरूवार को डॉक्यूमेंट्री से संबंधित एक सवाल का जवाब देते हुए इसे प्रोपेगेंडा का हिस्सा बताया था। उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि यह एक प्रोपेगेंडा सामग्री है, जिसे एक विशेष बदनाम नेरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए बनाया गया है। इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट दिखाई दे रही है।" उन्होंने कहा था कि यह डॉक्यूमेंट्री, जिस एजेंसी ने इसे बनाया है, उसकी मानसिकता दर्शाती है।