
भारतीय सेना खरीदेगी AK-630 वायु रक्षा बंदूकें, रूस से और S-400 प्रणाली खरीदने की भी तैयारी
क्या है खबर?
'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद भारतीय सेना तेजी से अपनी क्षमता बढ़ाने में जुटी है। अब सेना मिशन सुदर्शन चक्र के तहत वायु रक्षा के लिए 6 AK-630 बंदूक खरीदने जा रही हैं। इसके लिए सरकारी स्वामित्व वाली एडवांस्ड वेपन एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (AWEIL) को टेंडर जारी किया गया है। रक्षा अधिकारियों ने ANI को बताया, "भारतीय सेना ने AWEIL के साथ 6 AK-630 वायु रक्षा गन सिस्टम की खरीद के लिए एक प्रस्ताव अनुरोध जारी किया है।"
रिपोर्ट
पाकिस्तानी सीमा के नजदीक होगी तैनाती
अधिकारियों के अनुसार, इन बंदूकों को मानव रहित हवाई वाहन, रॉकेट, तोपखाने और मोर्टार से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सीमा और पाकिस्तान से सटी नियंत्रण रेखा के करीब प्रमुख आबादी वाले इलाकों की सुरक्षा में तैनात किया जाएगा। बंदूक प्रणाली को एक ट्रेलर पर लगाया जाएगा, जो 4 किलोमीटर की दूरी तक 3,000 राउंड प्रति मिनट तक फायर कर सकेगी। सेना ने मई में ही इस प्रणाली का परीक्षण किया था, जो पूरी तरह सफल रहा था।
रूस
रूस से और S-400 प्रणाली खरीद सकता है भारत
भारत रूस से कुछ और S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीद सकता है। भारत ने पहले 5 S-400 के लिए समझौता किया था, जिनमें से 3 मिल चुके हैं। समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक, दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे के दौरान इसे लेकर चर्चा हो सकती है। बता दें कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान S-400 प्रणाली ने पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराने में अहम भूमिका निभाई थी।
S-400
S-400 प्रणाली की खासियत भी जान लीजिए
S-400 हवा के रास्ते आने वाले खतरों से बचाने का काम करता है। इसकी रेंज 400 किलोमीटर है। इस रेंज में ये दुश्मन के विमान, ड्रोन, एयरक्राफ्ट और मिसाइल आदि को हवा में ही नष्ट कर सकता है। इसे सड़क के रास्ते कहीं भी ले जाया जा सकता है और इसकी एक यूनिट एक साथ 160 टारगेट को ट्रैक कर सकती है और हर टारगेट पर 2 मिसाइलों से हमला किया जा सकता है।
प्लस
क्या है मिशन सुदर्शन चक्र?
इजरायल की प्रसिद्ध वायु रक्षा प्रणाली आयरन डोम की तर्ज पर भारत सुदर्शन चक्र बना रहा है। इसके तहत निगरानी, साइबर सुरक्षा और वायु रक्षा प्रणालियों को एकीकृत करके प्रमुख प्रतिष्ठानों को खासतौर से हवाई हमलों से बचाया जाएगा। इस मिशन का उद्देश्य रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के साथ रक्षात्मक अवरोध और आक्रामक क्षमता प्रदान करना है। भारत इसे एक व्यापक, बहुस्तरीय, स्वदेशी सुरक्षा कवच योजना बताता है, जिसे 2035 तक पूरा किया जाना है।